केंद्र पहले बजट (2024-25) में बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं की नाराजगी की चिंता दिखाई पड़ी है। इसलिए बजट में सबसे ज्यादा फोकस रोजगार और कौशल बढ़ाने पर दिया गया है। युवाओं को पहली नौकरी में सरकार मदद का प्रयास करेगी। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बार रोजगार, कौशल विकास और नौकरी का जिक्र किया। यह इस साल के बजट की प्रमुख थीम रही जिसके पीछे लोकसभा चुनाव के सबक छिपे हैं।
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट का कुल आकार 48.21 लाख करोड़ रुपये है। मसलन सरकार इस साल यह राशि खर्च करेगी। इस दौरान 32.07 लाख करोड़ रुपये की आय होगी जिसमें 25.83 करोड़ रुपये टैक्स से आएंगे। वहीं राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पादन जीडीपी का 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
बजट में नौ प्राथमिकताओं की बात कही गई है और उसमें सबसे ऊपर कृषि व संबद्ध क्षेत्र को रखा है। लेकिन किसानों के लिए सबसे बड़ी बात दो साल में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की कही गई है। साथ ही डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का इस्तेमाल कर किसान रजिस्ट्री बनाने और चालू खरीफ सीजन में 400 जिलों में फसल उत्पादन का डिजिटल आकलन करने की बात कही गई है।
एक बार फिर दालों और तिलहन के मोर्चे पर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए दाल व तिलहन मिशन घोषित किया गया है। फसलों की उच्च पैदावार और जलवायु अनुकूल किस्मों के बीज जारी करने का जिक्र भी वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किया। लेकिन कृषि क्षेत्र के कायाकल्प के लिए कोई कारगर रणनीति बजट में दिखाई नहीं पड़ती है। ना ही किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गये हैं। जबकि किसान एमएसपी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
बजट में कृषि अनुसंधान पर फोकस बढ़ाने की बात है लेकिन बजट में इसके लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है। यहां तक कि कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग का बजट भी लगभग पिछले साल के स्तर पर है। इसमें मामूली बढ़ोतरी की गई है।
मध्य वर्ग की आस बजट में आयकर के प्रावधानों को लेकर रहती है। लेकिन एक ओर जहां वित्त मंत्री ने कहा है कि अगले छह माह में आयकर कानून की समीक्षा की जाएगी। वहीं न्यू टैक्स रिजीम में स्टेंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार करने और टैक्स स्लैब में बदलाव किये गये हैं। दावा है कि इस व्यवस्था को अपनाने वाले करदाता 17500 रुपये तक कर बचा सकते हैं।
निवेशकों के लिए स्टॉक मार्केट में कैपिटल गेन टैक्स प्रावधानों में बदलाव किया गया है जिसे निवेशकों को हतोत्साहित करने की बात एक्सपर्ट कह रहे हैं। साथ ही कैपिटल गेन टैक्स में किये गये बदलावों को लेकर माना जा रहा है कि इसमें इंडेक्सेशन को समाप्त करने जैसे प्रावधान इस समय उचित नहीं हैं। पुरानी आयकर व्यवस्था के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
जहां तक रोजगार की बात है उसके लिए स्किल डेवपलमेंट से लेकर एजुकेशन लोन, अप्रेंटिसशिप के लिए इंसेंटिव, ईपीएफ में अंशदान के साथ पहली नौकरी पाने वालों के लिए सेलरी में योगदान और न्यू पेंशन सिस्टम के लिए योगदान में बढ़ोतरी जैसे कदम उठाये गये हैं। हाल के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हुए नुकसान के पीछे युवाओं की बेरोजगारी एक बड़ा कारण माना गया है। इसलिए इस बजट में वित्त मंत्री ने रोजगार पर फोकस बढ़ाने का प्रयास किया है। इसके लिए कई योजनाओं और कदमों का ऐलान किया गया है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए विदेशी कंपनियों के लिए टैक्स रेट 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी किया गया है। वहीं घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क की दरों में कमी की गई है। मुद्रा लोन का दायरा बढ़ाने के साथ ही हाट बाजार और एमएसएमई के लिए कर्ज को आसान करने और क्रेडिट गारंटी देने के साथ ही सिडबी की नई शाखाएं खोलने जैसे कदमों की घोषणा की गई है। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पूर्वी राज्यों में ढांचागत सुविधाओं के विकास धार्मिक स्थलों के विकास की घोषणाएं की गई हैं।
सरकार को समर्थन देने वाले दो बड़े सहयोगी दलों जदयू और टीडीपी को खुश करने के लिए पूर्वोदय के तहत इन राज्यों में ढांचागत सुविधाएं और इंडस्ट्रियल कारिडोर के जरिये बड़े वित्तीय प्रावधान किये गये हैं। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से मिले लाभांश का उपयोग भी राजकोषीय संतुलन को बेहतर करने के लिए किया है। हालांकि, बजट में लाभार्थी वर्ग को खुश करने के कोई बड़ी योजना शुरू नहीं की गई है। शहरी और ग्रामीण आवास योजनाओं को जारी रखा गया है। बजट में 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कैपिटल इनवेस्टमेंट करने का अंतरिम बजट का प्रावधान भी जारी रखा गया है।