एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आगामी केंद्रीय बजट 2023-24 में क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल्स पर आयात शुल्क और जीएसटी कम करने का आग्रह किया है। साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्रों यानी केवीके के तत्वावधान में अनुसंधान और विकास कार्य को प्रेरित करने के लिए निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता मुहैया कराने का भी आग्रह किया। वित्त मंत्री आगामी 1 फरवरी को लोकसभा में आगामी वित्त वर्ष (2023-24) का आम बजट पेश करेंगी।
एसीएफआई के अध्यक्ष परीक्षित मूंदड़ा ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ समय में किसी भी नए क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल मोलेक्युल्स का आविष्कार नहीं किया है क्योंकि इनके खोज से लेकर व्यवसायीकरण तक में 10 वर्षों में लगभग 280 मिलियन अमेरिकी डालर का खर्चा आता है। इस कारण आज घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, "भारत के पास वर्तमान समय में आयात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए आयात शुल्क कम करना जरूरी है ताकि भारतीय किसान नए टेक्नोलॉजिकल क्रॉप प्रोटेक्शन सोल्यूशन्स से वंचित न रह जाएं।"
मूंदड़ा ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आगामी बजट में भारत में पंजीकृत नए मोलेक्युल्स से संबंधित डेटा को सुरक्षित रखने का आग्रह किया ताकि किसानों को कम कीमतों पर नवीनतम तकनीक उपलब्ध हो सके। एसीएफआई ने आगे बताया कि रसायन विभाग ने आज तक पीएलआई योजना के तहत 40 मोलेक्युल्स को शॉर्टलिस्ट किया है जिसमें 7 क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल और इंटरमीडिएट्स शामिल हैं।
मूंदड़ा ने कहा, "यह निश्चित रूप से मेक इन इंडिया की पहल को बढ़ावा देगा। इसलिए पीएलआई योजना में और अधिक क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल और इंटरमीडिएट्स को शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि पीएलआई योजना को बढ़ावा देने के लिए कुछ क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल व इंटरमीडिएट्स को आगामी बजट में पीएलआई के तहत शामिल किया जाएगा।
कृषि विज्ञान केंद्र की योजना को 100 फीसदी भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाती है, जो उसके विकास, प्रौद्योगिकी क्षमता बढ़ाने, प्रदर्शन और मूल्यांकन के लिए जरूरी है।
एसीएफआई ने मांग की है कि फर्टिलाइजर्स की तरह क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल पर भी जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाए। फेडरेशन ने कहा कि केमिकल पर मौजूदा 18 फीसदी जीएसटी किसानों के हित में नहीं है क्योंकि उन्हें क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल को खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। दूसरी तरफ फर्टिलाइजर्स और क्रॉप प्रोटेक्शन केमिकल एक ही श्रेणी में है लेकिन इनपर जीएसटी दर अलग-अलग हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है।