रूस और यूक्रेन के बीच तनाव अब युद्ध के कगार पर पहुंच गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र के दोनेत्स्क और लुहान्स्क इलाके को मान्यता देते हुए वहां सेना भेजने का फैसला किया है। पुतिन ने इसे शांति सेना बताया है। अभी यह खुली जंग तो नहीं है, लेकिन अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को आशंका है कि पुतिन जल्दी ही युद्ध की शुरुआत कर सकते हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के चलते ग्लोबल बाजार में कमोडिटी के दामों में पहले ही तेजी देखने को मिल रही है। आने वाले दिनों में इसका और अधिक असर हो सकता है। गर्मियां आने वाली हैं और गर्मियों में बियर की खपत अधिक होती है। दुनिया में ज्यादातर बियर जौ (जई) से ही बनती है। इसकी कीमत में 30 फ़ीसदी हिस्सा जौ का होता है। बीते एक साल में इसकी कीमत पहले ही 60 फ़ीसदी से अधिक बढ़ चुकी है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने पर जौ की ग्लोबल सप्लाई बाधित होगी और दाम और बढ़ेंगे। इसके अलावा, कच्चा तेल महंगा होने से ढुलाई महंगी हो गई। युद्ध का खतरा बढ़ने से बीमा प्रीमियम भी बढ़ गया है। इसलिए रूस और यूक्रेन से आयात करने में दूसरे देश बच सकते हैं और दूसरे देशों का रुख कर सकते हैं।
रूस सबसे बड़ा जौ उत्पादक, यूक्रेन चौथे नंबर पर
रूस जौ का सबसे बड़ा उत्पादक है। वहां सालाना उत्पादन 1.8 करोड़ टन के आसपास है। यूक्रेन चौथे नंबर पर है जहां उत्पादन 95 लाख के आसपास है। भारत में जौ का उत्पादन 16-17 लाख टन के आसपास रहता है। राजस्थान और उत्तर प्रदेश इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। भारत में कुछ प्रीमियम ब्रांड को छोड़ दें तो बेवरेज कंपनियां घरेलू बाजार से ही जौ खरीदती हैं। लेकिन रूस और यूक्रेन से सप्लाई बाधित होने पर ग्लोबल मार्केट में दाम बढ़ेंगे और उसका असर घरेलू बाजार में भी कीमतों पर दिखेगा।
बेवरेज कंपनियां फरवरी-मार्च में ही ज्यादा जौ खरीदती हैं
दुनिया में 90 फ़ीसदी माल्ट उत्पादन जौ से ही होता है। माल्ट से बियर, व्हिस्की और अन्य अल्कोहलिक बेवरेज बनाए जाते हैं। इसके अलावा जौ का इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग और पशु चारे में भी होता है। गर्मियों को ध्यान में रखते हुए अनेक बेवरेज कंपनियां फरवरी-मार्च के महीने में ही जौ अधिक मात्रा में खरीदती हैं। इसलिए अभी सप्लाई बाधित होने या दाम बढ़ने पर उसका असर सीधा उत्पादन और कीमत पर पड़ेगा।
रूस और यूक्रेन खाद्य और ऊर्जा के बड़े निर्यातक
रूस-यूक्रेन तनाव का असर दूसरी कमोडिटी पर भी पड़ना तय है। मेनयूलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के अनुसार रूस और यूक्रेन दोनों खाद्य और ऊर्जा, जिनमें तेल, गैस, अनाज और कुकिंग ऑयल शामिल हैं, के बड़े निर्यातक हैं। पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदी लगाने की चेतावनी दे रखी है। पाबंदी का दुनिया के कमोडिटी बाजार पर गहरा असर हो सकता है। एक तो इन दोनों देशों से पारंपरिक रूप से आयात करने वाले देशों को नए विक्रेता तलाशने पड़ेंगे। इसके अलावा सप्लाई कम होने से कमोडिटी के दाम में भी बढ़ोतरी होगी।
रूस-यूक्रेन करते हैं दुनिया का 21 फीसदी गेहूं, जौ और मक्का निर्यात
रूस दुनिया का 17.1 फ़ीसदी प्राकृतिक गैस का उत्पादन करता है। यह गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है। कच्चे तेल के निर्यात में सऊदी के बाद यह दूसरे नंबर पर है। रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया का 21 फीसदी गेहूं, जौ और मक्का का निर्यात करते हैं। सनफ्लावर आयल की ग्लोबल सप्लाई में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी 60 फ़ीसदी है। रूस और बेलारूस उर्वरकों के निर्यात में भी 20 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखते हैं। इसके अलावा कुछ धातुओं के निर्यात में भी इनकी प्रमुख हिस्सेदारी है जिन जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स सामान में किया जाता है।
पुतिन का सेना भेजने का आदेश, अमेरिका-ब्रिटेन ने लगाया प्रतिबंध
यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र के दोनेत्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र में रूसी भाषा बोलने वाले अधिक हैं। इस क्षेत्र ने 2014 में ही खुद को यूक्रेन से अलग घोषित कर दिया था। रूस वर्षों से इसे अपना हिस्सा बताता रहा है। आरोप है कि यहां के अलवागवादी गुटों को वह समर्थन देता है। बीते आठ वर्षों में रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच लड़ाई में 14,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। अब राष्ट्रपति पुतिन ने इस इलाके को मान्यता देते हुए वहां सेना भेजने का आदेश दिया है। एक बयान में पुतिन ने कहा कि यूक्रेन कभी अलग देश नहीं रहा। पुतिन के इस फैसले के बाद अमेरिका ने कई रूसी वित्तीय संस्थाओं और वहां रह रहे अमीर रूसियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों और तीन अरबपतियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों में भी रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति बन गई है। रूस के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस खरीदार जर्मनी ने रूस से नई गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है।