अंतरराष्ट्रीय बाजार में सितंबर में खाद्य तेलों, डेयरी और मीट के दाम में कमी आई है, लेकिन चीनी और मक्का के दाम बढ़ गए। चीनी के दाम नवंबर 2010 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। हालांकि गेहूं और चावल के दामों में गिरावट का रुख रहा। कुछ खाद्य कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि और कुछ में गिरावट के चलते खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का फूड प्राइस इंडेक्स पिछले महीने स्थिर रहा। अगस्त के 121.4 अंकों की तुलना में सितंबर में यह इंडेक्स 121.5 रहा। यह सितंबर 2022 से 10.7% कम होने के साथ मार्च 2022 के सर्वोच्च स्तर से 24% नीचे है।
एफएओ के अनुसार चीनी के दाम अगस्त की तुलना में 9.8 प्रतिशत बढ़े हैं। इसका इंडेक्स नवंबर 2010 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। आने वाले सीजन में ग्लोबल सप्लाई कम रहने की आशंका के चलते इस कमोडिटी के दाम बढ़ रहे हैं। शुरुआती अनुमानों के अनुसार भारत और थाईलैंड में इस साल उत्पादन घटने का अंदेशा है। इन दोनों प्रमुख उत्पादक देशों में अल नीनो के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। हालांकि ब्राजील में अभी गन्ना कटाई चल रही है और मौसम भी अनुकूल बना हुआ है, वर्ना दाम और बढ़ सकते थे।
एफएओ के अनुसार बीते माह अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का के दाम 7 प्रतिशत बढ़ने के कारण अनाज मूल्य सूचकांक 1.0 प्रतिशत बढ़ा है। मक्का के दाम में बढ़ोतरी ब्राजील में मांग बढ़ने, अर्जेंटीना में किसानों की तरफ से कम बिक्री किए जाने और माल भाड़े में वृद्धि के कारण हुई। अमेरिका की मिसीसिपी नदी में पानी का स्तर कम होने के कारण वहां किराया बढ़ा है। मक्का के विपरीत गेहूं के दाम 1.6 प्रतिशत गिर गए। ऐसा आपूर्ति बढ़ने और रूस में इस साल अच्छे उत्पादन की उम्मीदों के चलते हुआ है। आयात मांग कम रहने के चलते एफएओ के चावल मूल्य सूचकांक में भी 0.5 प्रतिशत की कमी आई है।
अगस्त की तुलना में वनस्पति तेलों का मूल्य सूचकांक सितंबर में 3.9 प्रतिशत नीचे आया है। वनस्पति तेलों में पाम, सूरजमुखी, सोया और रेपसीड- सबकी कीमतों में कमी आई। उत्पादन का सीजन होने के कारण ग्लोबल स्तर पर इनकी सप्लाई बढ़ी है। एफएओ के मुताबिक डेयरी प्राइस इंडेक्स अगस्त की तुलना में 2.3 प्रतिशत कम हुआ है। इसमें लगातार नौवें महीने गिरावट आई है। वैश्विक आयात मांग कम रहने और यूरोप के प्रमुख उत्पादक देशों में पर्याप्त स्टॉक के चलते इसके दाम कम हुए हैं। अमेरिकी डॉलर की तुलना में यूरो कमजोर होने का भी असर पड़ा है। कमजोर मांग के चलते मीट प्राइस इंडेक्स भी 0.1 प्रतिशत कम रहा।
अनाज का रिकॉर्ड स्टॉक रहने की संभावना
एफएओ ने 2023 में विश्व अनाज उत्पादन के अनुमान में बढ़ोतरी की है। इसका कहना है कि इस वर्ष 281.9 करोड़ टन अनाज उत्पादन होगा। यह पिछले साल से 0.9 प्रतिशत अधिक रहेगा। पिछले अनुमानों की तुलना में रूस और यूक्रेन में उत्पादन बेहतर रहने के आसार हैं। वहां मौसम भी अनुकूल है। हालांकि कनाडा में खेती वाले प्रमुख इलाकों में मौसम लगातार शुष्क रहने से वहां उत्पादन में गिरावट की आशंका है। एफएओ ने वैश्विक गेहूं उत्पादन 78.5 करोड़ टन, मोटे अनाज का उत्पादन 151.1 करोड़ टन और चावल का उत्पादन 52.3 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है।
खपत के संशोधित अनुमान में कटौती की गई है, फिर भी 2023-24 में 280.4 करोड़ टन खपत होगी। इसमें पिछले साल से 0.8 फीसदी वृद्धि के आसार हैं। खाने में गेहूं की मांग बढ़ेगी, लेकिन चावल की मांग खाने के अलावा दूसरे कामों में भी निकलेगी। इसकी कुल 52 करोड़ टन खपत होने की उम्मीद है।
2024 के सीजन के अंत में विश्व अनाज स्टॉक 88.4 करोड़ रहने का अनुमान है। यह ओपनिंग स्टॉक से तीन प्रतिशत अधिक होने के साथ रिकॉर्ड भी है। 2023-24 में विभिन्न अनाजों का व्यापार 46.6 करोड़ टन का होगा और 2022-23 के स्तर से इसमें 1.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।