एक तरफ जहां रूस और यूक्रेन में एक दुसरे से लड़ाई चल रही है दूसरी तरफ जी 20 शिखर सम्मेलन के मौके पर बढ़ते खाद्य संकट लेकर चर्चा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया के दो सबसे बड़े अनाज आपूर्तिकर्ताओं के बीच युद्ध ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति की संकट को बढ़ा दिया है। उत्पन्न खाद्य संकट खतरे को चर्चा करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बाली में जी-20 नेताओं को खाद और खाद्यान्न दोनों की 'स्थिर' आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता के बारे में आगाह करते कहा कि आज किसी भी उर्वरक की कमी कल एक खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत ने कई देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति करते हुए कोविड -19 महामारी के दौरान अपने 130 करोड़ नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की ।उन्होंने खाद और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए एक आपसी समझौते की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है और टिकाऊ खाद्य सुरक्षा के लिए बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बना रहा है। उन्होंने कहा, "हम सभी को अगले साल अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को बड़े उत्साह के साथ मनाना चाहिए उन्होंने कहा कि बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी हल कर सकता है।
मोदी ने शिखर सम्मेलन में कहा कि मौजूदा कमी भी खाद्य सुरक्षा के मामले में एक बहुत बड़ा संकट है। आज की उर्वरक की कमी कल का खाद्य संकट है, जिसका समाधान दुनिया के पास नहीं होगा। इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ब्रिटिश प्रधान मंत्री त्रृषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी शामिल थे
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्से खाद्य सुरक्षा की चुनौती का सामना कर रहा हैं। यूक्रेन गेहूं का एक प्रमुख उत्पादक देश है और मुख्य खाद्य के निर्यात देश निर्यात में ठहराव के काऱण वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी हो गई है।
जी-20 वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रभावशाली मंच है क्योंकि यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी के साथ दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।जी -20 समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। .
भारत वर्तमान में जी -20 ट्रोइका (वर्तमान, पिछली और आने वाली जी-20 प्रेसीडेंसी) का हिस्सा है जिसमें इंडोनेशिया, इटली और भारत शामिल हैं। वैश्विक और क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा पर कई वर्षों से जी -20 के प्राथमिकता वाले एजेंडे में विचार-विमर्श किया जा रहा है। 2021 में, मटेरा घोषणा के माध्यम से जी-20 मंत्रियों ने माना कि गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और स्थायी खाद्य प्रणालियाँ भूखमरी को समाप्त करने की कुंजी हैं।
भारत ने कहा था कि मटेरा घोषणापत्र छोटे और मध्यम किसानों के कल्याण, स्थानीय खाद्य संस्कृतियों को बढ़ावा देने और कृषि-विविधता को मान्यता देने जैसी चीजों को लेकर उसकी चिंता को दर्शाता है। मटेरा घोषणा पत्र में अंतरराष्ट्रीय खाद्य व्यापार को खुला रखने और सुरक्षित, ताजा और पौष्टिक भोजन के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय विविध मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करने के साथ-साथ विज्ञान आधारित समग्र व स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया।
खाद्य सुरक्षा के मामले में भारत की भूमिका खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि को बनाए रखने और खाद्य प्रणालियों में सुधार के रास्ते पर अलोकन करना काफी महत्वपूर्ण है। सभी नागरिकों को भोजन सुनश्चित के लिए भारत के सबसे बड़े योगदानों में से एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मध्याह्न भोजन योजना और एकीकृत बाल विकास सेवाओं का आधार प्रदर्शित करता है। आज भारत का खाद्य सुरक्षा तंत्र सामूहिक रूप से एक अरब से अधिक लोगों तक पहुँचता है।
आजादी के बाद से भारत ने नीतिगत उपाय, भूमि सुधार, सार्वजनिक निवेश, संस्थागत बुनियादी ढांचे, नई नियामक प्रणाली, सार्वजनिक मदद और कृषि-बाजारों और कीमतों और कृषि-अनुसंधान और विस्तार में कार्य किया। साल 1991-2015 की अवधि के दौरान बागवानी, डेयरी, पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने के साथ कृषि मे विविधीकरण पर ध्यान दिया गया। जिसके काऱण पोषण स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के तत्व शामिल हुए।
पिछले तीन वर्षों में कोराना महामारी के दौरान संकट के समय भारत ने प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना लाकर लोगों खाद्य सुरक्षा देने का एक वैश्विक उदाहरण प्रस्तुत किया। कोराना महामारी के दौरान अपनी मजबूत सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उपयोग करके किसानों से सरकार ने अनाज की खरीद की प्राणली के माध्यम से तत्काल लोगों को राहत प्रदान की और आपूर्ति श्रृंखला में कोई व्यवधान नहीं आया जो आर्थिक झटके से बचने की क्षमता पैदा कर सका। दशकों से, भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए रणनीतिक भंडार के रूप में किसानों और खाद्य भंडार से अनाज खरीदने को संस्थागत रूप दिया है।