युद्धरत रूस और यूक्रेन आखिरकार अनाज खास कर गेहूं का निर्यात करने पर राजी हो गए हैं। शुक्रवार को इस्तांबुल में हुई बैठक में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने इस पर सहमति जताई। समझौते के अनुसार यूक्रेन में काला सागर के बंदरगाहों पर जो 20 करोड़ टन से अधिक का अनाज निर्यात के लिए रुका पड़ा है, रूस उनका निर्यात करने की इजाजत देगा। फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इनका निर्यात रुक जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का संकट हो गया है और इनके दाम भी काफी बढ़ गए हैं। इससे अफ्रीका समेत कई महाद्वीपों के देशों के लिए स्थिति विकट हो गई है जो गेहूं के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं। कई देशों में अकाल तो कई जगह राजनीतिक अस्थिरता की नौबत आ गई है। इस समझौते के बाद हालात धीरे-धीरे सुधरने की उम्मीद है।
संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के हस्तक्षेप और लगातार कई हफ्तों तक चली बातचीत के बाद यह सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र ने रूस को आश्वासन दिया है कि वह भी अपने अनाज और उर्वरकों का निर्यात कर सकेगा। हालांकि यह निर्यात कब शुरू होगा अभी यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि माना जा रहा है कि काला सागर में जहाजों का आवागमन रोकने के लिए रूस ने बारूदी सुरंगें बिछा रखी हैं। उन्हें हटाने के बाद ही जहाज उस इलाके से गुजर सकते हैं। यूक्रेन ने भी अपने बंदरगाहों के इर्द-गिर्द सुरंगे बिछा रखी हैं ताकि रूसी नौसैनिक जहाज वहां तक ना पहुंच सके। हालांकि रूस और यूक्रेन में सीजफायर पर कोई सहमति नहीं बन सकी है इसलिए जहाजों के लिए खतरा फिलहाल बना रहेगा।
समझौते के मुताबिक यूक्रेन तुर्की के रास्ते अनाज का निर्यात करेगा। यूक्रेन के ओडेसा समेत तीन बंदरगाहों से अनाज लेकर जहाज तुर्की जाएंगे। वहां उनकी अनलोडिंग होगी और फिर वहां से दूसरे देशों को भेजा जाएगा। तुर्की से जो जहाज यूक्रेन के बंदरगाहों पर लौटेंगे उनकी संयुक्त राष्ट्र, तुर्की, यूक्रेन और रूस की टीम जांच करेगी और यह देखेगी कि उनमें यूक्रेन के लिए हथियार तो नहीं हैं। यह समझौता 4 महीने के लिए है। हर महीने 50 लाख टन अनाज का निर्यात यूक्रेन करेगा। इस तरह 4 महीने में दो करोड़ टन गेहूं का निर्यात होने की उम्मीद है।