केंद्र सरकार ने चावल निर्यात के मामले में ढील देते हुए 100% टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है। यह प्रतिबंध सितंबर, 2022 से लागू था, लेकिन अब भारत से 100% टूटे चावल का निर्यात हो सकेगा। यह निर्णय देश में चावल के अत्यधिक भंडार और चावल की कीमतों में गिरावट को देखते हुए लिया गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा कि 100% टूटे सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा। टूटे चावल के निर्यात की नीति को 'निषिद्ध' से 'मुक्त' सूची में डाल दिया है।
सरकार ने यह निर्णय ऐसे समय लिया है जब वैश्विक बाजार में सुस्त मांग और अधिक स्टॉक के कारण चावल की कीमतें दो साल के निचले स्तर पर पहुंची गई हैं। देश में चावल के ऊंचे भंडार और कीमतों में गिरावट को देखते हुए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटने की उम्मीद की जा रही थी। प्रतिबंध हटने से करीब 20 लाख टन चावल निर्यात की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रतिबंध हटने का क्या होगा असर?
भारत द्वारा 100% टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान के चावल की कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना है। जबकि घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को कुछ सहारा मिल सकता है। भारत सरकार के इस फैसले से अफ्रीकी देशों को कम कीमतों पर चावल खरीदने में मदद मिल सकती है, साथ ही एनिमल फीड और इथेनॉल उत्पादकों को भी फायदा हो सकता है।
खाद्य महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने सितंबर, 2022 में 100% टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद 2023 में कमजोर मानसून और उत्पादन में गिरावट की आशंका को देखते हुए विभिन्न प्रकार के चावल निर्यात पर पाबंदियां लगा दी थीं।
चावल निर्यात पर हटी पाबंदियां
पिछले साल धान की अच्छी फसल और रिकॉर्ड उत्पादन को देखते हुए सितंबर, 2024 से चावल निर्यात पर पाबंदियां हटाने का सिलसिला शुरू हुआ और सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाया गया था। इसके बाद अक्टूबर, 2024 में गैर-बासमती सफेद चावल पर लागू 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटाया गया। साथ ही चावल निर्यात पर लगी विभिन्न पाबंदियां भी हटा ली गई थीं। केवल 100% टूटे चावल पर निर्यात प्रतिबंध रह गया था।
केंद्रीय पूल में भरपूर चावल
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 1 फरवरी तक केंद्रीय पूल में कुल चावल भंडार 6.76 करोड़ टन था जो 76 लाख टन की बफर स्टॉक सीमा से कई गुना अधिक था। सरकारी भंडार में भरपूर चावल को देखते हुए टूट चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाया गया है।