विश्व में भुखमरी की स्थिति का आंकलन करने वाली ग्लोबल हंगर इंडेक्स में इस साल भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इस मामले में भारत कई अफ्रीकी देशों के अलावा श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे है, जबकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से बेहतर है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में जो देश जितने ऊंचे पायदान पर होता है, वहां भुखमरी उतनी कम मानी जाती है। इस आधार पर चीन, चिली, कुवैत, रोमानिया, तुकी, रूस, जॉजिया, यूएई और उज्बेकिस्तान समेत 22 देश संयुक्त रूप से पहले स्थान पर हैं। यानी इन देशों में सबसे कम भुखमरी है। भुखमरी की सबसे चिंताजनक स्थिति सोमालिया, यमन, चाड, मेडागास्कर, हैती और नाइजर आदि देशों में है। ये ग्लोबल हंगर इंडेक्स में सबसे निचले स्थान पर हैं।
कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थहंगरहिल्फ द्वारा प्रकाशित, ग्लोबल हंगर इंडेक्स की 2024 की रिपोर्ट में भारत 27.3 स्कोर के साथ 105वें स्थान पर है जो भुखमरी के 'गंभीर' स्तर को दर्शाता है। इंडेक्स में इथोपिया, कीनिया, रवांडा, नामीबिया, लीबिया, म्यांमार, सेनेगल, इराक और वियतनाम की स्थिति भारत से बेहतर है। नेपाल (68), श्रीलंका (56) और बांग्लादेश (84) की रैंकिंग भी भारत से बेहतर है। हालांकि, पाकिस्तान (109), सूडान (110) और अफगानिस्तान (116) हंगर इंडेक्स में भारत से पीछे हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का 2024 का स्कोर 2016 के मुकाबले कुछ सुधार दर्शाता है। रिपोर्ट की पद्धित में बदलाव और संशोधित डेटा के कारण 2023 की रिपोर्ट से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। पिछले साल भारत 125 देशों में 111वें स्थान पर और 2022 में 121 देशों में से 107वें स्थान पर था। तब भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत और भ्रामक करार दिया था।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स तैयार करने में विभिन्न देशों को कुपोषण से जुड़े विभिन्न पैमानों पर शून्य से 100 तक स्कोर दिया जाता है। कम स्कोर का मतलब कम भुखमरी होता है। इंडेक्स की पद्धति और आंकड़ों का लेकर विवाद रहा है लेकिन इसमें दोराय नहीं है कि भारत कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है। वर्ष 2000 के बाद से देश में बाल मृत्यु दर में सुधार हुआ है, लेकिन बाल कुपोषण गंभीर चुनौती है।
2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भुखमरी को कम करने में वैश्विक प्रगति वर्ष 2016 से स्थिर हो गई है, जिससे वर्ष 2030 तक भुखमरी को मिटाने का लक्ष्य असंभव होता जा रहा है। इंडेक्स में शामिल 127 देशों में से 42 देश भुखमरी की 'चिंताजनक' या 'गंभीर' स्थिति का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट भुखमरी, जलवायु परिवर्तन और लैंगिक असमानता के बीच एक सीधा संबंध स्थापित करती है।