भारत ने अपनी खाद्य सुरक्षा और चावल किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए एक बार फिर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के पीस क्लॉज का सहारा लिया है। भारत ने चावल के लिए निर्धारित सब्सिडी सीमा का उल्लंघन करने के कारण वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में लगातार पांचवीं बार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में पीस क्लॉज का इस्तेमाल किया।
पीस क्लॉज, विश्व व्यापार संगठन का एक अस्थायी समाधान है जो विकासशील देशों के खाद्य खरीद कार्यक्रमों को सब्सिडी की सीमा के उल्लंघन की स्थिति में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों की कार्रवाई से बचाता है।
भारत ने डब्ल्यूटीओ को सूचित किया है कि वर्ष 2022-23 में भारत में चावल के कुल उत्पादन का मूल्य 52.8 बिलियन डॉलर था, जबकि किसानों को 6.39 बिलियन डॉलर की सब्सिडी दी गई थी। इसका मतलब है कि चावल सब्सिडी उत्पादन के मूल्य का 12 प्रतिशत थी, जिससे 10 प्रतिशत सब्सिडी सीमा का उल्लंघन हुआ।
इस उल्लंघन का कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत ने पीस क्लॉज का सहारा लिया है, जिस पर 2013 में डब्ल्यूटीओ की बाली मंत्रिस्तरीय सहमति हुई थी। डब्ल्यूटीओ में अपनी लिखित दलील में भारत ने यह कहकर अपना बचाव किया कि पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग प्रोग्राम के तहत स्टॉक को देश की गरीब आबादी की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए बढ़ाया गया, न कि व्यापार को विकृत करने या अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए।"
निर्धारित सीमा से अधिक सब्सिडी को व्यापार-विकृत करने वाले कदम के रूप में देखा जाता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह सीमा खाद्य उत्पादन के मूल्य का 10 प्रतिशत तय की गई है। भारत ने बार-बार डब्ल्यूटीओ से सार्वजनिक खाद्य भंडार के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने की मांग की है।
पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग के तहत सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से चावल और गेहूं जैसी फसलें खरीदती है और गरीबों को खाद्यान्न का वितरण करती है। वैश्विक व्यापार मानदंडों के तहत, डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश की खाद्य सब्सिडी 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के इस फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है।
एक अंतरिम उपाय के रूप में, दिसंबर 2013 में बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में डब्ल्यूटीओ के सदस्य एक तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए थे जिसे पीस क्लॉज कहा जाता है। पीस क्लॉज के तहत, डब्ल्यूटीओ के सदस्य विकासशील देशों द्वारा निर्धारित सीमा के किसी भी उल्लंघन को चुनौती देने से परहेज करने पर सहमत हुए। यह धारा तब तक रहेगी जब तक खाद्य भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान नहीं निकाल लिया जाता है।
भारत 2018-19 से चावल की सरकारी खरीद के मामले में घरेलू समर्थन सीमा को पार कर रहा है, लेकिन पीस क्लॉज के चलते यह अपनी पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग नीतियों को कानूनी चुनौतियों से बचाने में सफल रहा है। सवाल यह है कि भारत बार-बार चावल पर अपनी घरेलू समर्थन सीमा का उल्लंघन क्यों कर रहा है। दरअसल, यह मुख्य रूप से डब्ल्यूटीओ के पुराने और त्रुटिपूर्ण फॉर्मूले के कारण हो रहा है जो बढ़ी हुई सरकारी खरीद को गलत रूप में पेश करता है।