वर्ष 2024-25 में भारत से वस्तुओं का निर्यात मात्र 0.08 फीसदी बढ़ा, जबकि आयात में 6.62 फीसदी की बढ़ोतरी

सेवाओं के निर्यात में बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात (वस्तु व सेवाएं) 5.5 फीसदी बढ़कर 820.93 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि कुल आयात 6.85 फीसदी बढ़कर 915.19 अरब डॉलर रहा है। इस प्रकार कुल 94.26 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ जो पिछले साल हुए 78.39 अरब डॉलर के व्यापार घाटे से लगभग 20 फीसदी अधिक है।

विश्व व्यापार को लेकर पैदा अनिश्चितताओं के बीच वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से वस्तुओं का निर्यात मात्र 0.08 प्रतिशत बढ़कर 437.42 अरब डॉलर रहा है, जबकि इस दौरान माल आयात 6.62 प्रतिशत बढ़कर 720.24 अरब डॉलर हो गया। इसके परिणामस्वरूप 282.82 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।

मार्च 2025 में, भारत के माल निर्यात में सालाना आधार पर केवल 0.67 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 41.97 अरब डॉलर रहा है, जबकि आयात में 11.36 फीसदी का बड़ा इजाफा हुआ और यह 63.51 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इससे 21.54 अरब डॉलर का मासिक व्यापार घाटा हुआ जो पिछले साल मार्च में 15.13 अरब डॉलर और गत फरवरी में 14.05 अरब डॉलर था। देश में पेट्रोलियम और सोने के अधिक आयात के कारण मार्च में व्यापार घाटा बढ़ा है। मई, 2024 के बाद मार्च में सर्वाधिक पेट्रोलियम आयात हुआ है।

सेवाओं के निर्यात में बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात (वस्तु व सेवाएं) 5.5 फीसदी बढ़कर 820.93 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि कुल आयात 6.85 फीसदी बढ़कर 915.19 अरब डॉलर रहा है। इस प्रकार कुल 94.26 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ जो पिछले साल हुए 78.39 अरब डॉलर के व्यापार घाटे से लगभग 20 फीसदी अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से सेवाओं का निर्यात 12.45 फीसदी बढ़कर 383.51 अरब डॉलर हो गया, जबकि सेवाओं का आयात 9.33 फीसदी बढ़कर 194.95 अरब डॉलर तक रहा है।  

कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2025 विश्व व्यापार के लिए एक मुश्किल साल रहा है। भू-राजनीतिक तनाव, समुद्री मार्ग की बाधाओं और कई देशों में मंदी की आहट से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हुआ है।  

वर्ष 2025-25 में भारत ने जिन देशों को सर्वाधिक निर्यात किया, उनमें अमेरिका पहले, यूएई दूसरे, नीदरलैंड तीसरे, यूनाइटेड किंगडम चौथे और चीन पांचवें स्थान पर है। गत मार्च में भारत से अमेरिका को हुए निर्यात में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। जबकि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। जबकि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप द्वारा दुनिया भर के देशों पर रैसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से ही विश्व व्यापार में उथल-पुथल मची है। हालांकि, अमेरिका ने रैसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन का अस्थायी विराम लगा दिया है और कई क्षेत्रों और उत्पादों को छूट भी दी है। लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई।      

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन को रेखांकित करते हुए कहा कि इसने माल निर्यात में मामूली वृद्धि को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रल्हन ने निर्यात की गति को बनाए रखने के लिए निर्यात क्षेत्र को समर्थन दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने, उत्पादों और बाजारों में विविधता लाने और बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के साथ-साथ रेगुलेटरी बोझ को कम करने तथा सस्ते ऋण मुहैया कराने की आवश्यकता है।