कम मांग और अधिक आपूर्ति के कारण वैश्विक बाजार में चावल कीमतों में गिरावट

थाईलैंड के 5% टूटे हुए चावल की कीमतें 10 डॉलर घटकर 403 डॉलर प्रति टन हो गईं। यह दो वर्षों से अधिक समय में सबसे निचला स्तर है। भारत और पाकिस्तान में भी व्यापार कम रहने के कारण निर्यात कीमतों में नरमी देखी गई, जबकि वियतनाम में नियमित खरीदारों से बिक्री जारी रहने से कीमतें स्थिर रहीं।

हाल के हफ्तों में वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण कमजोर मांग और नई फसल की उपलब्धता से बढ़ी आपूर्ति है। इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल (IGC) की ग्रेन मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय चावल कीमतों में हाल में 3% की गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल की पर्याप्त उपलब्धता और सामान्य रूप से कमजोर खरीद ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर दबाव बनाए रखा। 

थाईलैंड के 5% टूटे हुए चावल की कीमतें 10 डॉलर घटकर 403 डॉलर प्रति टन हो गईं। यह दो वर्षों से अधिक समय में सबसे निचला स्तर है। भारत और पाकिस्तान में भी व्यापार कम रहने के कारण निर्यात कीमतों में नरमी देखी गई, जबकि वियतनाम में नियमित खरीदारों से बिक्री जारी रहने से कीमतें स्थिर रहीं।

दक्षिण अमेरिका में कीमतों में सबसे तेज गिरावट देखी गई। IGC ने बताया कि उरुग्वे के 5% टूटे हुए चावल की कीमतें 60 डॉलर घटकर 598 डॉलर प्रति टन पर आ गईं, जो 2024-25 की फसल की बढ़ती उपलब्धता का परिणाम है।

यूएसडीए की इकोनॉमिक रिसर्च सर्विस (ERS) ने भी इन रुझानों की पुष्टि की है। इसकी फरवरी की 'राइस आउटलुक' रिपोर्ट में बताया गया कि थाई मिल्ड चावल की कीमतों में 10–11% की गिरावट आई है, जबकि वियतनाम में 6% की गिरावट दर्ज की गई। अन्य एशियाई निर्यातकों और दक्षिण अमेरिकी सप्लायरों के लिए कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आई। इनमें अर्जेंटीना की गिरावट सबसे ज्यादा थी। अमेरिका में भी लंबे दाने और मध्यम/छोटे दाने वाले चावल की कीमतों में कमी आई।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने कहा कि फरवरी में चावल की कीमतों में मासिक आधार पर 6.8% की गिरावट आई, जो फरवरी 2024 की तुलना में लगभग 25% कम है। कीमतों का यह स्तर अप्रैल 2022 के बाद सबसे कम है। 

इंडिका किस्म के चावल की कीमतें जनवरी की तुलना में 7.7% गिरकर ढाई साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं। एरोमैटिक और जापोनिका किस्मों की कीमतें भी कम व्यापार गतिविधि के चलते गिरीं। FAO ने कहा कि वियतनाम, भारत और थाईलैंड में फसलों की कटाई और ताजा मांग की कमी से आपूर्ति पर दबाव बना रहा। साथ ही, भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने और अमेरिका में व्यापारिक अनिश्चितताओं ने भी वैश्विक चावल कीमतों को प्रभावित किया।