भारत द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के चलते वैश्विक बाजार में अगस्त में चावल के दाम 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। जबकि अल-नीनो के असर के चलते थाइलैंड में चीनी उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने से चीनी की कीमत पिछले एक साल के मुकाबले इस साल अगस्त में 34.1 फीसदी अधिक रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा शुक्रवार को जारी फूड इंडेक्स में यह जानकारी दी गई है। इन दोनों उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे भारत मुख्य वजह है क्योंकि भारत ने अप्रैल में चीनी निर्यात भी बंद कर दिया था। जबकि पिछले कई साल से भारत बड़े चीनी निर्यातक के रूप में उभरा था।
हालांकि, एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स जुलाई के मुकाबले अगस्त में 2.1 फीसदी घटकर 121.3 अंकों पर आ गया जो मार्च, 2022 के उच्चतम स्तर के मुकाबले 24 फीसदी कम है। एफएओ की ओर जारी बयान में कहा गया है कि खाद्य तेलों और चावल को छोड़कर अधिकांश खाद्यान्नों की कीमतों में कमी आई है जिसकी वजह आपूर्ति का बेहतर रहना है। मगर इनके उलट एफएओ ऑल राइस प्राइस इंडेक्स जुलाई के मुकाबले अगस्त में 9.8 फीसदी बढ़ गया जिसकी वजह चावल की कीमतों के 15 साल के उच्च स्तर पर पहुंचना है। इस वृद्धि की वजह विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत द्वारा इंडिका व्हाइट राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना है। यह प्रतिबंध कब तक जारी रहेगा इसको लेकर अनिश्चितता कायम रहने से स्टॉक, कांट्रैक्ट्स पर दोबारा समझौता, बातचीत और नए सौदों की कीमतों को लेकर अनिश्चितता और सौदों के आकार भी छोटे हो गए हैं।
वहीं अल-नीनो के प्रभाव के चलते दुनिया के सबसे चीनी निर्यातकों में शुमार थाइलैंड में चीनी उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने से चीनी की कीमतें पिछले साल के मुकाबले इस साल अगस्त में 34.1 फीसदी अधिक रही है। जुलाई के मुकाबले अगस्त में एफएओ शुगर प्राइस इंडेक्स में 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
बाकी खाद्य उत्पादों के मोर्चे पर आपूर्ति बेहतर होने के चलते कीमतें कम हुई हैं। एफएओ का वेजिटेबल ऑयल प्राइस इंडेक्स जुलाई के मुकाबले अगस्त में 3.1 फीसदी कम हुआ है। जबकि जुलाई में यह 12.1 फीसदी बढ़ गया था। इसमें कमी आने की वजह अगस्त में खाद्य तेलों की आयात मांग घटने के चलते सूरजमुखी तेल की कीमतों में आठ फीसदी की कमी आना रहा है। अमेरिका में सोयाबीन की फसल के बेहतर उत्पादन अनुमानों के चलते भी सोयाबीन तेल की कीमतों में कमी आई है। जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में बेहतर उत्पादन के चलते पॉम ऑयल की कीमतों में भी मामूली कमी आई है।
एफएओ का सीरियल प्राइस इंडेक्स अगस्त में 0.7 फीसदी कम रहा है। वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ने से गेहूं की कीमतों में 3.8 फीसदी की कमी आई है। वहीं मोटे अनाजों की कीमतों में भी 3.4 फीसदी की कमी है। इसकी वजह अमेरिका और ब्राजील में मक्का के रिकॉर्ड उत्पादन के चलते वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ना रहा है।
वहीं एफएओ डेयरी प्राइस इंडेक्स में जुलाई के मुकाबले अगस्त में 4 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। होल मिल्क पाउडर, चीज और बटर की आपूर्ति में भारी बढ़ोतरी के चलते इनकी कीमतों में कमी आई है। वहीं एफएओ मीट इंडेक्स में भी जुलाई के मुकाबले अगस्त में तीन फीसदी की कमी आई है क्योंकि अधिकांश मीट उत्पादों के दाम गिरे हैं।