बंपर मक्का फसल के कारण 2025-26 में वैश्विक अनाज उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगाः आईजीसी

आईजीसी का कहना है कि उत्पादन में वृद्धि के बावजूद खपत में समान गति से बढ़ोतरी के कारण स्टॉक का स्तर साल-दर-साल स्थिर रहने का अनुमान है। IGC के अनुसार मोटे अनाज का स्टॉक थोड़ी मात्रा में बढ़ सकता है, जबकि गेहूं का स्टॉक लगातार तीसरे वर्ष घटने के आसार हैं।

इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल (IGC) ने अपनी नई ग्रेन मार्केट रिपोर्ट में 2025-26 मार्केटिंग वर्ष में 237.3 करोड़ टन अनाज उत्पादन का अनुमान जताया है। यह विश्व अनाज उत्पादन का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर होगा। यह रिकॉर्ड मक्का की बंपर फसल के कारण होने की उम्मीद है। आईजीसी ने मक्का उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर रिकॉर्ड 127.4 करोड़ टन कर दिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5% अधिक है। गेहूं और चावल के अनुमान पिछले महीने के समान ही बने रहे। कुल मिलाकर, अनाज उत्पादन में सालाना 3% की वृद्धि की संभावना जताई गई है।

आईजीसी का कहना है कि उत्पादन में वृद्धि के बावजूद खपत में समान गति से बढ़ोतरी के कारण स्टॉक का स्तर साल-दर-साल स्थिर रहने का अनुमान है। IGC के अनुसार मोटे अनाज का स्टॉक थोड़ी मात्रा में बढ़ सकता है, जबकि गेहूं का स्टॉक लगातार तीसरे वर्ष घटने के आसार हैं।

कुल अनाज (गेहूं, मक्का, जौ आदि) व्यापार 42.4 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले महीने के अनुमान से थोड़ा अधिक है। हालांकि, चीन की आयात मांग में 3.6 करोड़ टन की गिरावट के चलते कुल व्यापार औसत से कम रहने की संभावना है।

वैश्विक अनाज बाजार में भारत की भूमिका
IGC की नवीनतम रिपोर्ट में भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बताई गई है। 2024-25 में भारत में गेहूं की घरेलू खपत में कमी के कारण वैश्विक खाद्य उपयोग अनुमान में कटौती की गई है। वहीं, भारत के कारण चावल उत्पादन अनुमान में 30 लाख वृद्धि का संशोधन किया गया है। 2025-26 के लिए भारत की औद्योगिक मांग - विशेष रूप से एथेनॉल क्षेत्र में - वैश्विक अनाज खपत में वृद्धि का प्रमुख कारण है। भारत का चावल निर्यात 2025 और 2026 दोनों वर्षों में 230 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है। वैश्विक चावल व्यापार में भारत का लगभग 40% हिस्सा होगा। 

2024-25 की स्थिति
वर्तमान 2024-25 सीजन में कुल अनाज उत्पादन का अनुमान 230.3 करोड़ टन है, जो पिछले महीने के अनुमान से 30 लाख टन कम है। गेहूं और बाजरे के उत्पादन अनुमानों में मामूली गिरावट आई है, लेकिन बड़ा परिवर्तन मांग के स्तर पर देखा गया। कुल खपत का अनुमान 80 लाख टन घटाकर 232.8 करोड़ टन किया गया है।

आईजीसी की रिपोर्ट में भारत में गेहूं की खाद्य खपत में कमी और चारे के रूप में मक्का की कमजोर मांग के बारे में बताया गया है। फिर भी 2024-25 के लिए कैरीओवर स्टॉक को पिछले महीने की तुलना में 40 लाख टन बढ़ाकर 58 करोड़ टन कर दिया गया है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले दस वर्षों में सबसे कम है। इस सीजन में कुल व्यापार का अनुमान 41.8 करोड़ टन का है, जो पिछले अनुमान से 20 लाख टन अधिक है।

सोयाबीन की रिकॉर्ड खपत और स्टॉक
IGC की रिपोर्ट में 2024-25 में सोयाबीन के अनुमानों में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। खपत और भंडारण दोनों रिकॉर्ड स्तर पर रहने की उम्मीद है। व्यापार भी रिकॉर्ड 18.1 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो एक साल पहले की तुलना में 1% अधिक होगा।

मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए सोयाबीन उत्पादन 3% की वृद्धि के साथ 42.8 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसमें दक्षिण अमेरिका की फसलें मुख्य भूमिका निभाएंगी। खपत में भी वृद्धि की उम्मीद है, खासकर चारा, खाद्य और औद्योगिक क्षेत्रों में मांग के चलते। फिर भी स्टॉक ऊंचे स्तर पर बने रहेंगे। चीन को कम शिपमेंट के बावजूद छोटे बाजारों में बढ़ती आपूर्ति के कारण वैश्विक आयात मांग स्थिर रहने की संभावना है।

चावल उत्पादन का अनुमान 30 लाख टन बढ़ा
2024-25 में चावल उत्पादन के अनुमान को पिछले अनुमान से 30 लाख टन बढ़ाया गया है। इसका मुख्य कारण भारत के उत्पादन अनुमानों में सुधार है। इसके साथ ही खपत और भंडार में भी वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। 2025-26 में चावल उत्पादन एक और रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें प्रमुख निर्यातकों और चीन का योगदान रहेगा।

2026 में चावल की आयात मांग लगभग 6 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो एक साल पहले की तुलना में 2% अधिक होगी। चावल की ज्यादा मांग अफ्रीकी और एशियाई देशों से होगी। वैश्विक व्यापार में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 40% रहने की संभावना है।