इस साल वैश्विक अनाज उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर रहने के अनुमानों के बीच नवंबर में गेहूं, मक्का और मोटे अनाजों के दाम में गिरावट का रुख रहा। जबकि पाम ऑयल की कीमतों में वृद्धि की वजह से वनस्पति तेल के दाम में तेजी आई है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) के मासिक बुलेटिन के मुताबिक, नवंबर में वर्ल्ड फूड कमोडिटी प्राइस इंडेक्स 120.4 अंक पर रहा। अक्टूबर की तुलना में यह अस्थिर रहा। अक्टूबर में यह 120.6 अंक पर था, जबकि नवंबर 2022 की तुलना में इसमें 10.7 फीसदी की गिरावट आई है।
एफएओ के मुताबिक, अनाज की कीमतों के इंडेक्स में नवंबर में अक्टूबर की तुलना में 3 फीसदी की गिरावट आई है। मक्का के दाम में तेज गिरावट की वजह से मोटे अनाजों की कीमतों में 5.6 फीसदी की कमी आई है। वहीं गेहूं के दाम नवंबर 2.4 फीसदी घटे हैं। चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें इस महीने स्थिर रही हैं।
अनाजों के उलट वनस्पति तेलों की कीमतों में 3.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल की कीमतों में तेजी के चलते यह वृद्धि हुई है। नवंबर में पाम ऑयल के दाम 6 फीसदी उछले हैं। पाम ऑयल के प्रमुख उत्पादक देशों में उत्पादन की कमी और प्रमुख आयातक देशों द्वारा आयात बढ़ाए जाने का असर कीमतों पर देखने को मिला है। सूरजमुखी के तेल के दाम भी बढ़े हैं। हालांकि, सोयातेल और रैपसीड ऑयल के दाम में मामूली कमी आई है।
उत्तर पूर्वी एशियाई देशों की ओर से बटर और स्किम मिल्क पाउडर की मांग निकलने और आयात बढ़ने के चलते एफएओ का डेयरी प्राइस इंडेक्स अक्टूबर के मुकाबले 2.2 फीसदी चढ़ा है। सर्दी की छुट्टियों को देखते हुए पश्चिमी यूरोप से भी मांग में तेजी आई है। इसका भी असर डेयरी उत्पादों की कीमतों पर पड़ा है।
एफएओ के शुगर प्राइस इंडेक्स में भी 1.4 फीसदी वृद्धि हुई है। नवंबर 2022 की तुलना में यह 41.1 फीसदी ज्यादा है। वैश्विक बाजार में चीनी की उपलब्धता घटने की वजह से कीमतों पर दबाव है। विश्व के दो प्रमुख निर्यातक देशों भारत और थाईलैंड में चीनी उत्पादन घटने की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है। अल-नीनो के चलते इन दोनों देशों में मानसून की बारिश सामान्य से कम रही है जिसकी वजह से उत्पादन घटा है।
एफएओ मीट प्राइस इंडेक्स नवंबर में इससे पिछले महीने की तुलना में 0.4 फीसदी घटा है। पॉल्ट्री, सूअर और अन्य पशुओं के मांस की कीमतों में मामूली गिरावट के चलते यह कमी दर्ज की गई है।