विश्व खाद्य कमोडिटी के बेंचमार्क इंडेक्स में जनवरी में फिर गिरावट आई है। हालांकि यह गिरावट बहुत कम है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार अनाज और मीट की कीमतों में गिरावट के चलते ऐसा हुआ, हालांकि चीनी के दाम बढ़े हैं। एफएओ खाद्य कमोडिटी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हर महीने उतार-चढ़ाव पर नजर रखता है। जनवरी में इसका फूड प्राइस इंडेक्स 118 अंक पड़ रहा। यह दिसंबर 2023 की तुलना में एक प्रतिशत कम है। लेकिन जनवरी 2023 से तुलना करें तो यह इसमें 10.4% की गिरावट आई है।
दिसंबर के मुकाबले अनाज की कीमतों का इंडेक्स 2.2% नीचे आया है। निर्यातकों में प्रतिस्पर्धा और दक्षिणी गोलार्ध के देश में नई फसल आने से गेहूं के दाम कम हुए हैं। मक्का की कीमतों में ज्यादा गिरावट आई है। अर्जेंटीना में इसकी फसल अच्छी है और अमेरिका में भी सप्लाई में वृद्धि हुई है। गेहूं के विपरीत चावल के दाम जनवरी में 1.2% बढ़ गए। पाकिस्तान और थाईलैंड के इंडिका क्वालिटी चावल की मांग बढ़ी है। साथ ही इंडोनेशिया ने अतिरिक्त खरीद की है। जनवरी में चीनी का प्राइस इंडेक्स 0.8% अधिक रहा। ब्राजील में औसत से कम बारिश के चलते अप्रैल में आने वाली गन्ने की फसल को लेकर चिंता है। थाईलैंड और भारत में भी हालात प्रतिकूल हैं।
एफएओ के वनस्पति तेलों का प्राइस इंडेक्स दिसंबर के मुकाबले 0.1% बढ़ा लेकिन एक साल पहले से तुलना करें तो यह अभी 12.8 प्रतिशत नीचे है। पाम और सनफ्लावर बीज के तेलों की कीमतों में बहुत ही मामूली वृद्धि हुई है, जबकि सोया और रेपसीड के तेल के दाम कम हुए हैं। मलेशिया में उत्पादन कुछ कम रहने और मौसम प्रतिकूल होने के चलते पाम के दाम बढ़े हैं। दक्षिण अमेरिका में सप्लाई बढ़ने और यूरोप में पर्याप्त उपलब्धता के चलते सोया और रेपसीड ऑयल की कीमतें कम हुई हैं।
डेरी प्राइस इंडेक्स जनवरी के बराबर ही है लेकिन एक साल पहले की तुलना में 17.8 प्रतिशत नीचे है। मीट के दामों में लगातार सातवें महीने गिरावट आई है। दिसंबर की तुलना में इसकी कीमत 1.4% कम हुई है।