भारत और चीन के बीच संबंधों के राजनीतिक निहितार्थ चाहे जो भी हों, हाल के आंकड़े बताते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। यह मई 2020 में लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद द्विपक्षीय व्यापार में आई गिरावट के ठीक विपरीत है। उस घुसपैठ के बाद देश की अखंडता को बनाए रखने में कई सैनिक शहीद हो गए थे। उसके बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच आर्थिक संबंध 1962 के युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे।
उस घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझीदार के साथ आर्थिक संबंध को कम करने के लिए कई ठोस कदम उठाए थे। चीन और हांगकांग से निवेश की स्क्रूटनी बढ़ा दी गई थी और सैकड़ों चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कई नागरिक संगठनों ने सरकार के इन कदमों का स्वागत करते हुए चीनी उत्पादों के बहिष्कार की आवाज दी। ये सभी कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान और वोकल फॉर लोकल के सरकार के अभियान को बढ़ावा देने वाले थे। दुनिया की फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन पर फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर में अत्यधिक निर्भरता कम करने के मकसद से सरकार ने कई फैसले लिए थे।
लेकिन उन फैसलों के ऐलान के बाद डेढ़ साल से भी कम समय में चीन के साथ भारत का व्यापार अभूतपूर्व तेजी से बढ़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 110.5 अरब डॉलर का था। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार पहली बार तीन अंकों में पहुंचा। एक साल पहले की तुलना में देखें तो ट्रेड वैल्यू 42 फ़ीसदी बढ़ गई।
एक और खास बात यह रही कि 2021 में चीन से भारत का आयात 88 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया। यह पिछले वर्षों के दौरान कुल द्विपक्षीय व्यापार से भी अधिक है। भारत से चीन को निर्यात में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई। 2020 की तुलना में पिछले वर्ष भारत से चीन को निर्यात 21 फ़ीसदी बढ़ गया। उससे पहले यह करीब एक दशक से स्थिर बना हुआ था। हालांकि आयात अधिक होने के कारण भारत का व्यापार घाटा 63 फ़ीसदी बढ़कर 65 अरब डॉलर हो गया।
भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार (अरब डॉलर में)
वर्ष |
चीन को निर्यात |
चीन से आयात |
कुल व्यापार |
2018 |
16.5 |
73.9 |
90.4 |
2019 |
17.1 |
68.4 |
85.5 |
2020 |
19.0 |
58.7 |
77.7 |
2021 |
23.0 |
87.5 |
110.5 |
(स्रोतः वाणिज्य मंत्रालय)
लेकिन यहां एक पेंच है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के जो आंकड़े हैं उसकी तुलना में चीन के आधिकारिक आंकड़े काफी अधिक हैं। चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स (जीएसी) के अनुसार 2021 में दोनों देशों के बीच 126 अरब डॉलर का आयात-निर्यात हुआ। यह 2020 की तुलना में 45 फ़ीसदी अधिक है। जीएसी के आंकड़ों के मुताबिक भारत से चीन का आयात 2021 में 34 फ़ीसदी बढ़कर 28 अरब डॉलर हो गया, जबकि चीन ने भारत को लगभग 98 अरब डॉलर का निर्यात किया। आंकड़ों में इस बड़े अंतर के बावजूद यह बात तो तय है कि आयात और निर्यात दोनों मामले में चीन पर भारत की निर्भरता बढ़ी है। भारत से सबसे अधिक आयात चीन ही करता है और चीन से आयात करने वाले देशों में भारत तीसरे स्थान पर है।
भारत-चीन व्यापार (अरब डॉलर में)
वर्ष |
चीन से आयात |
चीन को निर्यात |
कुल व्यापार |
2018 |
76.7 |
18.8 |
95.5 |
2019 |
74.8 |
18.0 |
92.8 |
2020 |
66.7 |
20.9 |
87.6 |
2021 |
97.5 |
28.1 |
125.6 |
(स्रोतः जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स, चीन)
यहां अहम बात यह है कि द्विपक्षीय व्यापार दोनों देशों को किस तरह लाभान्वित कर रहा है, उसका एक शुरुआती आकलन किया जाना चाहिए। इसके लिए किन वस्तुओं का आयात-निर्यात अधिक होता है उस पर गौर करना बेहतर होगा। अभी नवंबर 2021 तक दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात के अलग-अलग आंकड़े उपलब्ध हैं। इन आंकड़ों के उचित मूल्यांकन से पता चल सकता है कि दोनों व्यापारिक साझेदारों को किस तरह फायदा हो रहा है।
कोविड-19 महामारी से पहले 2019 में, जिसे महामारी से पहले का सामान्य वर्ष भी कहा जा सकता है, भारत से चीन को आयरन ओर और कंसंट्रेट, आयरन और स्टील प्रोडक्ट, अनरॉट अल्युमिनियम, नॉन बासमती चावल का निर्यात अधिक हुआ। इन प्राथमिक और मध्यवर्ती वस्तुओं के अलावा भारत ऑर्गेनिक केमिकल और टेलीकम्युनिकेशन प्रोडक्ट का निर्यात बढ़ाने में भी सफल रहा। टेलीकॉम प्रोडक्ट के निर्यात में तो 2020 की तुलना में 2021 के दौरान 300 फ़ीसदी की वृद्धि हुई। गौर करने वाली बात यह है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर महामारी की लंबी काली छाया के बावजूद एक टेक्नोलॉजी सघन इंडस्ट्री चीन में अपना बाजार बढ़ाने में सफल रही। बावजूद इसके कि चीन आयात पर कृत्रिम बैरियर लगाने के लिए जाना जाता है।
भारत में चीन से जिन वस्तुओं का आयात बढ़ा उनमें दो तरह के प्रोडक्ट खास हैं। एक तो इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट, जिनमें कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन प्रोडक्ट दोनों शामिल हैं। दूसरा, एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट यानी वे कच्चे माल जिनसे दवाएं बनती हैं। वर्ष 2021 में भारत ने जिन चीजों का एक अरब डॉलर से अधिक का आयात किया उनमें ज्यादातर यही दो तरह के प्रोडक्ट हैं। इससे पता चलता है की दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चीन पर भारत की निर्भरता लगातार बनी हुई है।
बीते दो वर्षों के दौरान प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के माध्यम से भारत सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने की पहल की है। ऐसे समय जब चीन से आयात रिकॉर्ड स्तर पर हो रहा है, सरकार और इंडस्ट्री को अगला कदम चीन पर भारत की निर्भरता को देखते हुए मिलकर उठाना चाहिए।
(लेखक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रोफेसर हैं)