विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के मुख्य संकेतकों - ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, पृथ्वी की सतह के तापमान, महासागर ताप व अम्लीकरण, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, जमे हुए जल की घटती चादर व खिसकते हिमनद - ने फिर से नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं।
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी डब्ल्यूएमओ की स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2023 रिपोर्ट के अनुसार, हीटवेव, बाढ़, सूखा, जंगल की आग और चक्रवातों ने तबाही मचाई, जिससे लाखों लोगों का रोजमर्रा का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया और कई अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में चेतावनी जारी करते हुए कहा कि हर बड़े संकेतक पर सायरन सुनाई दे रहे हैं, और इन बदलावों की गति तेज़ हो रही है।
यह रिपोर्ट अनेक एजेंसियों से प्राप्त डेटा के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें पुष्टि की गई है कि वर्ष 2023, अब तक का सर्वाधिक गर्म साल था, और पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में औसत निकट-सतह तापमान 1.45 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। पिछले दस साल अब तक की सबसे गर्म अवधि साबित हुए हैं।
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की महासचिव सेलेस्ते साउलो ने मंगलवार को जिनेवा में रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक ज्ञान, पिछले पाँच दशकों से अस्तित्व में है मगर हमने फिर भी अवसरों को खो दिया है। हम कभी भी जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस निचली सीमा के इतने करीब नहीं थे
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की जवाबी कार्रवाई को भावी पीढ़ियों के कल्याण की दृष्टि से अपनाया जाना होगा, ना कि अल्पकालिक आर्थिक हितों के आधार पर
प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोप दोनों में अत्यधिक पिघलने के कारण संदर्भ ग्लेशियरों के वैश्विक समूह को रिकॉर्ड (1950 के बाद से) बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ।
अंटार्कटिक समुद्री बर्फ का विस्तार रिकॉर्ड पर अब तक सबसे कम था, सर्दियों के अंत में अधिकतम विस्तार पिछले रिकॉर्ड वर्ष से 1 मिलियन किमी 2 कम था - फ्रांस और जर्मनी के संयुक्त आकार के बराबर।
दुनिया में उथल-पुथल
यूएन विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि जलवायु परिवर्तन केवल वायु तापमान तक ही सीमित नहीं है। महासागरों का तापमान और समुद्री जलस्तर में अभूतपूर्व स्तर पर वृद्धि हुई है, हिमनद पीछे खिसक रहे हैं और अन्टार्कटिक क्षेत्र में जमे हुए जल की चादर की मात्रा में कमी आ रही है।
वर्ष 2023 में औसतन किसी एक दिन, महासागर सतह का लगभग एक तिहाई हिस्सा समुद्री ताप लहर की चपेट में था, जिससे अति महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र व खाद्य प्रणालियाँ प्रभावित हो रही थीं।
रिपोर्ट बताती है कि हिमनदों ने वर्ष 1950 से अब तक सबसे अधिक मात्रा में जमे हुए जल को खोने का रिकॉर्ड बनाया है. आरम्भिक आँकड़ों के अनुसार, पश्चिमी उत्तर अमेरिका और योरोप में बड़े पैमाने पर इनमें पिघलाव हुआ है। वहीं, ऐल्प्स क्षेत्र में भी पर्वतों की चोटियों पर अत्यधिक पिघलाव देखा गया।
वायुमंडल में तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड – की सघनता वर्ष 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई थी और ये रुझान 2023 में भी जारी रहा।
वैश्विक असर
रिपोर्ट के अनुसार, चरम जलवायु और मौसम की घटनाएँ वर्ष 2023 में विस्थापन, खाद्य असुरक्षा, जैवविविधता हानि, स्वास्थ्य प्रभावों समेत अन्य कारणों के लिए भी ज़िम्मेदार रही हैं।
एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में अचानक खाद्य असुरक्षा का शिकार हुए लोगों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है - कोविड-19 महामारी से पहले 14.9 करोड़ से बढ़कर यह संख्या 2023 में 33.3 करोड़ तक पहुँच गई है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा 78 देशों की निगरानी की जाती है, जिसके आधार पर इस आँकड़े पर पहुँचा गया है। संगठन का कहना है कि जलवायु व मौसम जनित घटनाएँ इसकी मुख्य वजह भले ही ना हों, मगर ऐसी आपदाओं के कारण खाद्य असुरक्षा और अधिक गहरा जाती है।