चालू वित्त वर्ष (2022-23) में कृषि उत्पादों का निर्यात पिछले साल के 50 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर सकता है। लेकिन इसके साथ ही जिस तरह से आयात बढ़े हैं उसके चलते कृषि उत्पादों का ट्रेड सरप्लस अभी भी 2013-14 से कम रहेगा। वहीं आने वाले साल में कृषि उत्पादों के निर्यात की वृद्धि कमजोर रहने के आसार हैं। खाद्य तेलों के आयात के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के साथ कॉटन में भी हम निवल आयातक बन गये हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर, 2022 के बीच देश से 39 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ जो इसके पहले साल की समान अवधि के 36.2 अरब डॉलर के निर्यात से 7.9 फीसदी अधिक है। वहीं जिस गति से निर्यात बढ़ रहा है उसके चलते चालू साल में कृषि और सहयोगी क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात का 2021-22 के रिकॉर्ड स्तर को पार करना तय है।
चालू साल में जिस तेजी से निर्यात बढ़ा है उसी तेजी से कृषि उत्पादों का आयात भी बढ़ा है। अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान कृषि उत्पादों का आयात 27.8 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल की इसी अवधि के 24.1 अरब डॉलर के आयात के मुकाबले 15.4 फीसदी अधिक है। इसके चलते ट्रेड सरप्लस में गिरावट आ रही है। साल 2020-21 में ट्रेड सरप्लस 20.2 अरब डॉलर रहा था जो 2021-22 में कम होकर 17.8 अरब डॉलर रह गया था। वहीं इसके दस साल पहले 2012-12 में कृषि उत्पादों का ट्रेड सरप्लस 22.7 अरब डॉलर था जो 2013-14 में बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया था जो अभी तक का रिकॉर्ड स्तर है।
जहां तक निर्यात की बात है तो उसमें दो सबसे अहम उत्पाद चावल और चीनी हैं। 2021-22 में भारत से 212.10 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जिसकी कीमत 9.66 अरब डॉलर थी। इसमें 6.12 अरब डॉलर का 176 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात और 3.54 रब डॉलर के 39.50 लाख टन बासमती चावल का निर्यात शामिल है। चालू वित्त वर्ष में चावल निर्यात में वृद्धि का मुख्य कारक बासमती निर्यात है। चालू साल में अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान बासमती निर्यात में 40.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है और इस दौरान 3.34 अरब डॉलर का बासमती चावल निर्यात हुआ जो पिछले साल की इसी अवधि में 2.38 अरब डॉलर रहा था। वही निर्यात की मात्रा में 16.6 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह अप्रैल से दिसंबर, 2021 के 27.40 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 32 लाख टन पर पहुंच गया। वहीं गैर-बासमती चावल के निर्यात में केवल 3.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान 4.66 अरब डॉलर के 131.70 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि अप्रैल से दिसंबर, 2021 के बीच 4.51 अरब डॉलर के 126 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ। कीमत के मामले में गैर बासमती चावल के निर्यात में 3.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और मात्रा के मामले में 4.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
निर्यात में दूसरा अहम उत्पाद चीनी रहा है। साल 2021-22 में 4.60 अरब डॉलर की चीनी निर्यात हुई थी। पिछले तीन साल में चीनी निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हुई है जो 2020-21 में 2.79 अरब डॉलर रहा था। इसके पहले साल 1.97 अरब डॉलर और उसके पहले साल 1.36 अरब डॉलर की चीनी का निर्यात हुआ था। वहीं चालू साल (2022-23) में अप्रैल से दिसंबर के दौरान चीनी का निर्यात 43.6 फीसदी बढ़कर 3.99 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो अप्रैल से दिसंबर 2021 में 2.78 अरब डॉलर रहा था। चालू साल में चावल का निर्यात 11 अरब डॉलर और चीनी का निर्यात 6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। समुद्री उत्पादों का निर्यात भी पिछले साल के 7.77 अरब डॉलर को पार कर सकता है। अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान समुद्री उत्पादों का निर्यात 2.77 फीसदी बढ़कर 6.29 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल की इसी अवधि में 6.12 अरब डॉलर रहा था।
लेकिन मीट, मसालों और कपास के साथ ही गेहूं का निर्यात भी पिछले साल से कम रहने की संभावना है। बफैलो मीट का निर्यात अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान 2.39 अरब डॉलर रहा जो 2021 की इसी अवधि के 2.51अरब डॉलर मुकाबले 5.1 फीसदी कम है। इसके साथ ही मसालों का निर्यात भी चालू साल में अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि के 2.95 अरब डॉलर के मुकाबले 6.7 फीसदी गिरकर 2.75 अरब डॉलर रह गया। हालांकि अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान गेहूं का निर्यात 3.9 फीसदी बढ़कर 1.51 अरब डॉलर रहा जो इसके पहले साल इसी अवधि में 1.45 अरब डॉलर रहा था। लेकिन इसके पिछले साल की पूरी अवधि के 2.12 अरब डॉलर के 72.30 लाख टन गेहूं निर्यात के स्तर पर पहुंचने की संभावना बहुत कम है। सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद के लक्ष्य से आधे से भी कम रहने और उत्पादन में गिरावट के चलते मई में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष में कृषि उत्पादों का आयात काफी बढ़ा है। खाद्य तेलों का आयात 2020-21 में 11.09 अरब डॉलर था जो 2021-22 में बढ़कर 18.99 अरब डॉलर पर पहंच गया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष (2022-23) में खाद्य तेलों का आयात अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान 14.7 फीसदी बढ़कर 16.10 अरब डॉलर रहा जो इसके पहले साल इसी अवधि में 14.04 अरब डॉलर रहा था। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 तेल वर्ष (नवंबर से अक्तूबर) के दौरान खाद्य तेलों का आयात 140.30 लाख टन रहा। वहीं नवंबर और दिसंबर 2022 में खाद्य तेलों का आयात इसके पहले साल के इन दो माह के 23.60 लाख टन से 30.9 फीसदी बढ़कर 30.80 लाख टन रहा। इसके चलते खाद्य तेलों का आयात देश की कुल खपत करीब 230 लाख टन के 60 फीसदी तक पहुंच गया है।
वहीं एक समय में रिकॉर्ड स्तर को छूने वाले कपास निर्यात में लगातार गिरावट के बाद हम निवल आयातक हो गये हैं। 2011-12 में देश से 4.33 अरब डॉलर का कॉटन निर्यात हुआ था। जिसमें इसके बाद गिरावट आई और 2021-22 में देश से 2.82 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान कॉटन निर्यात केवल 51.20 करोड़ डॉलर का रहा है जबकि 2021 की इसी अवधि में कॉटन निर्यात 1.97 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान कॉटन आयात पिछले साल के 41.45 करोड़ डॉलर के मुकाबले बढ़कर 1.32 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस आधार पर चालू साल में भारत कॉटन का निवल आयातक बन जाएगा।
वहीं अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान काजू का आयात 64.6 फीसदी बढ़कर 1.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो इसके पहले साल 99.64 करोड़ डॉलर रहा था। वहीं काजू का निर्यात अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान 25.97 करोड़ रह गया जो इसके पहले साल इसी अवधि में 34.46 करोड़ डॉलर रहा था। मसालों के निर्यात में भी पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है। मसालों का निर्यात 2.95 अरब डॉलर से घटकर 2.75 अरब डॉलर रहा है। वहीं इस दौरान मसालों का आयात पिछले साल के 95.57 करोड़ डॉलर से बढ़कर 1.03 अरब डॉलर रहा है।
वहीं वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतों में आई गिरावट के चलते भारतीय निर्यात में भी गिरावट आ सकती है। पिछले कुछ बरसों में वैश्विक बाजार में कीमतें बढ़ने के साथ ही हमारे निर्यात बढ़े हैं वहीं कीमतों में गिरावट के बाद हमारे निर्यात भी कमजोर रहे हैं। यूनाइटेड नेशंस के फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) के फूड प्राइस इंडेक्स का स्तर जब 2012-13 में 122.5 और 2013-14 में 119.1 अंकों के स्तर पर था तो हमारे निर्यात बढ़े। लेकिन 2015-16 और 2016-17 में जब इंडेक्स घटकर 90-95 पर आ गया तो हमारे कृषि निर्यात भी कम हो गये थे। वहीं रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद जब मार्च 2022 में जब एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स बढ़कर 159.7 अंकों के स्तर पर पहुंच गया था। उससे संकेत मिलते हैं कि वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों के दाम बढ़ने का हमें फायदा हुआ। लेकिन अब इसमें गिरावट आ रही है और जनवरी, 2023 में एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स कम होकर 131.2 अंकों पर आ गया जो सितंबर, 2021 के बाद का सबसे कम स्तर है। इससे यह बात के संकेत मिलते हैं अगर कीमतों गिरावट का ट्रेंड बना रहता है तो आने वाले साल में हमारा कृषि निर्यात कमजोर रह सकता है।