ब्लैक सी ग्रेन डील से रूस के अलग होने के कारण उसके कुछ करीबी देश भी नाराज हो गए लगते हैं। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से डील पर दोबारा राजी होने का आग्रह किया है। एक दिन पहले ही सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित रूस-अफ्रीका सम्मेलन में मिस्र के नेता अब्दुल फतह अल सिसी ने पुतिन की मौजूदगी में कहा कि डील को पुनर्जीवित करने के लिए समझौते पर सहमति आवश्यक है। पिछले साल जुलाई में ब्लैक सी ग्रेन डील के बाद यूक्रेन से 330 लाख टन अनाज अंतरराष्ट्रीय बाजार में आया था। इसमें से बड़ा हिस्सा अफ्रीका के विकासशील देशों को गया। संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की पहल के बाद यह समझौता हुआ था। मिस्र दुनिया का सबसे बड़ा अनाज आयातक है। वह 80% अनाज रूस और यूक्रेन से ही आयात करता रहा है।
रूस का कहना है कि वह इस समझौते से इसलिए अलग हुआ क्योंकि पश्चिमी देशों ने उसके कृषि निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है। मिस्र और केन्या समेत कई अफ्रीकी देश रूस से बड़े पैमाने पर अनाज का आयात करते रहे हैं। एक तो रूस का अनाज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम पहुंच रहा है और दूसरा, उसके ब्लैक सी ग्रेन डील से अलग हो जाने के बाद यूक्रेन का अनाज भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचना बंद हो गया है। केन्या ने रूस के इस कदम को पीठ में छुरा घोंपना बताया है।
अपने संबोधन में मिस्र के नेता अल सिसी ने कहा, खाद्य पदार्थ और उर्वरक उचित कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए तत्काल समाधान तलाशे जाने चाहिए ताकि अफ़्रीका को संकट की घड़ी में मदद मिल सके। मैं अनाज निर्यात समझौते पर ऐसी सहमति की उम्मीद करता हूं जिसमें सभी पक्षों की मांगों और हितों पर गौर किया गया हो ताकि अनाज की लगातार बढ़ती कीमतों पर लगाम लग सके।
इस बीच पुतिन ने गुरुवार को अफ्रीका के 6 देशों बुर्किना फासो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, एरिट्रिया, माली सोमालिया और जिंबाब्वे को मुफ्त में अनाज देने की घोषणा की है। पुतिन ने कहा कि मानवीय आधार पर यह अनाज दिया जा रहा है। इनमें से सोमालिया के अलावा बाकी पांच देश रूस के करीबी माने जाते हैं। 55 देशों की अफ्रीकी यूनियन के प्रमुख ने कहा कि अनाज और उर्वरक की समस्या सबके लिए है। जब तक रूस-यूक्रेन के बीच शांति नहीं होती तब तक यह यूनियन ब्लैक सी ग्रेन डील को जारी रखने की अपेक्षा करता है।