बुधवार को पाकिस्तान की इकोनॉमिक कोआर्डिनेशन काउंसिल (ईसीसी) के भारत से पांच लाख टन चीनी आयात करने फैसले के बाद से दो दिन भारत और पाकिस्तान के कारोबारी रिश्ते कुछ हलचल भरे थे। लेकिन गुरुवार को पाकिस्तान सरकार द्वारा इस पर रोक लगाने के फैसले के बाद पहले से जारी ठहराव ने फिर अपनी जगह ले ली है। कूटनीतिक मसलों पर पाकिस्तान के अड़ियल रुख के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच चीनी के कारोबार की मिठास बढ़ने से पहले ही गायब हो गई। वहीं 96 से 100 रुपये किलो (भारतीय रुपये में करीब 50 रुपये) के महंगे दामों पर चीनी खरीदने के लिए मजबूर पाकिस्तानी नागरिकों को महंगे दाम से राहत मिलने की उम्मीद भी कमजोर हो गई है। 12 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के महीने में चीनी की कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से पाकिस्तान की इकोनॉमिक कोआर्डिनेशन काउंसिल (ईसीसी) ने बुधवार को भारत से पांच लाख टन चीनी के आयात की घोषणा की थी। लेकिन उसके बाद गुरुवार शाम को ही खबरें आ गई कि पाकिस्तान की कैबिनेट ने इस फैसले को अस्वीकार कर दिया है। उत्पादन घटने के चलते पाकिस्तान में चीनी की कीमतों में भारी तेजी का दौर है। उसके इस संकट का हल भारत के पास है लेकिन ईसीसी के भारत से पांच लाख टन चीनी आयात करने के फैसले के अगले ही दिन वहां की सरकार ने इस आयात संभावना पर विराम लगा दिया।
घरेलू चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने भी गुरुवार को एक प्रेस रिलीज में कहा था कि हम पाकिस्तान को चीनी निर्यात करने के इच्छुक हैं, लेकिन शाम होते-होते पाकिस्तान के कैबिनेट ने भारत से चीनी आयात की संभावना को खारिज कर दिया।
चीनी उद्योग सूत्रों ने रुरल वॉयस को बताया कि पाकिस्तान की इकोनॉमिक कोआर्डिनेशन काउंसिल (ईसीसी) ने आयात का फैसला लिया था। इसके पीछे वजह यह थी कि पाकिस्तान में चीनी की कीमतें 96 से 100 रुपये किलो के बीच चल रही हैं। 12 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू होने वाला है। उसके चलते कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है। ऐसे में पाकिस्तान के पास कीमतों को नियंत्रित करने का सबसे व्यवहारिक तरीका भारत से चीनी का आयात करना है। भारत से चीनी वाघा बार्डर से ट्रकों के जरिये पाकिस्तान जा सकती है और उसके चलते वहां बाजार तक इसे पहुंचाने में कम से कम समय लगेगा। इससे कीमतों में तेजी से कमी लाई जा सकती है। असल में पाकिस्तान में चीनी उत्पादन 2018-19 के 52 लाख टन से घटकर 2019-20 में 48.19 लाख टन रह गया। पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक गन्ने में चीनी की रिकवरी और उत्पादकता घटने के चलते चीनी उत्पादन में यह गिरावट आई है। जबकि उसकी सालाना घरेलू चीनी की खपत करीब 55 लाख टन है। इसका नतीजा कीमतों में भारी तेजी के रूप में सामने आ गया। सितंबर, 2020 से ही कीमतें 95 रुपये के आसपास पहुंच गई थी। भारतीय रुपये में भी यह कीमत करीब करीब 50 रुपये किलो बैठती हैं। जबकि भारतीय बाजार में खुली चीनी की रिटेल कीमत 37 से 38 रुपये किलो चल रही हैं।
पाकिस्तान के पास दूसरा विकल्प ब्राजील से चीनी आयात करने का है, ब्राजील ही भारत के बराबर या उससे अधिक चीनी का उत्पादन करने वाला दूसरा देश है। वहीं एशियाई देशों में निर्यात बाजार में दखल रखने वाले देश के रूप में भारत के अलावा थाइलैंड है, लेकिन इस साल थाइलैंड में चीनी उत्पादन गिर गया है और उसके चलते भारत को इंडोनेशिया जैसे बाजार में निर्यात का अच्छा मौका मिला है। चीनी उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अगर पाकिस्तान ब्राजील से चीनी का आयात करता है तो वहां से पाकिस्तान के बाजार में चीनी पहुंचने में कम से कम 45 दिन लगेंगे। वहीं इस समय ब्राजील कोविड-19 के महामारी के भयानक संक्रमण दौर से गुजर रहा है। कोविड की वजह से वहां से जहाजों की उपलब्धता में बड़ी दिक्कतें सामने आ रही है। इसलिए यह स्थिति पाकिस्तान के संकट को और बढ़ाएगी। ऐसे में पाकिस्तान की ईसीसी का फैसला व्यवहारिक था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल चीनी की बेहतर मांग को देखते हुए भारतीय चीनी मिलें करीब 45 लाख टन के निर्यात सौदे कर चुकी हैं। सरकार ने चालू सीजन में 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है। चीनी मिलों का कहना है कि हमारे लिए अभी आठ माह का समय बाकी है ऐसे में 60 लाख चीनी निर्यात का कोटा पूरा करना मुश्किल नहीं होगा। इसलिए पाकिस्तान द्वारा भारत से चीनी आयात पर रोक लगाने से हमारे निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं है। यह बात सही है कि अगर पाकिस्तान भारत से चीनी आयात करने के फैसले को कायम रखता तो उसमें उसका काफी फायदा होता।
इस समय देश से चीनी निर्यात पर चीनी मिलों को करीब 24 से 25 रुपये किलो की एक्स मिल कीमत मिल रही है। सरकार चीनी मिलों को निर्यात पर छह रुपये किलो सब्सिडी दे रही है। ऐसे में मिलों को 30 से 31 रुपये किलो की कमाई निर्यात से हो रही है। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के बेहतर रहने के चलते एक्स मिल कीमत 26 से 27 रुपये किलो तक मिल रही थी। सरकार ने घरेलू बाजार के लिए चीनी का 31 रुपये किलो का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तय कर रखा है।