ऐसे समय जब दुनिया के कई देश खाद्यान्न संकट से गुजर रहे हैं यूक्रेन में गेहूं से लदे 130 मालवाहक जहाज काला सागर में आगे बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल संयुक्त राष्ट्र और तुर्की यूक्रेन से अनाज के निर्यात को लेकर रूस के साथ बातचीत कर रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां से होने वाला निर्यात लगभग ठप पड़ा हुआ है। अगर रूस मंजूरी देता है तो ये जहाज रोमानिया के बंदरगाहों तक जाएंगे। वहां से दुनिया के अन्य देशों को अनाज का निर्यात किया जाएगा।
ब्रिटिश अंग्रेजी अखबार द गार्डियन की एक रिपोर्ट के अनुसार रूसी सेना ने यूक्रेन के दक्षिणी तट पर बारूदी सुरंगे बिछा रखी हैं। इस वजह से उस रास्ते जहाजों का आना-जाना खतरनाक हो गया है। दूसरी तरफ यूक्रेन का गेहूं अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं पहुंचने के कारण खासकर अफ्रीका के कई देशों में अकाल की नौबत आने की आशंका बन गई है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनाज के दाम भी बढ़ गए हैं। यूक्रेन दुनिया में गेहूं के बड़े निर्यातकों में है। दुनिया में जितने गेहूं का व्यापार होता है उसका 9 फ़ीसदी यूक्रेन निर्यात करता है। इसके अलावा 42 फ़ीसदी सनफ्लावर ऑयल का निर्यात भी यही करता है। दुनिया का 16 फ़ीसदी मक्का उत्पादन भी यूक्रेन में ही होता है।
गेहूं से लदे ये जहाज सुलिना और बाइस्त्रे कैनाल के रास्ते रोमानिया जा सकते हैं। बाइस्त्रे कैनाल हाल तक बंद पड़ा था लेकिन रूसी सैनिकों के हटने के बाद उसे खोल दिया गया है। लेकिन इस रास्ते सिर्फ छोटे जहाज ही जा सकते हैं। यूक्रेन सरकार के मुताबिक जून में वहां से 25 लाख टन सामान का निर्यात किया गया जबकि उसने 80 लाख टन निर्यात का लक्ष्य रखा था। काला सागर के बंदरगाहों पर रूस का नियंत्रण होने और बारूदी सुरंगे बिछाए जाने के कारण यूक्रेन से दो से ढाई करोड़ टन गेहूं का निर्यात अटका हुआ है।
तुर्की के इस्तांबुल में इसी हफ्ते रूस और यूक्रेन के अधिकारी संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के अधिकारियों से मिले। मार्च के बाद रूस और यूक्रेन के अधिकारियों की यह पहली बैठक थी। अमेरिकी स्पेस एजेंसी के अनुसार यूक्रेन की 22 फ़ीसदी खेती की जमीन पर रूस का नियंत्रण हो गया है। यह आरोप भी लग रहे हैं कि उन खेतों में तैयार गेहूं का रूस निर्यात करना चाहता है।