डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायेक्टर (ईडी) और सीईओ ( शुगर बिजनेस) रोशन लाल टामक का कहना है कि सरकार की सही नीति से सकरात्मक परिणाम लाए जा सकते हैं। सरकार के एथनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम की नीति के कारण ही पेट्रोल में 8 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के स्तर तक पहुंचने से न केवल चीनी उद्योग की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है बल्कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान भी सुनिश्चित हुआ है। यह कार्यक्रम ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। चीनी उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने उनकी कंपनी ने गन्ना और चीनी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
टामक ने नई दिल्ली में 'रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और नेडाक अवार्ड्स 2021' के समापन सत्र के विषय 'एनबलिंग पॉलिसी इन्वायरन्मेंट फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल सेक्टर' पर चर्चा के दौरान यह बातें कहीं । रोशन लाल टामक को भारतीय चीनी उद्योग में ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की स्थापना, अधिग्रहण और संचालन के कुशल प्रबंधन के चीनी क्षेत्र में तीन दशकों का विस्तृत अनुभव हैं। डीसीएम श्रीराम में शामिल होने से पहले वह प्रमुख चीनी कंपनियों पर उंचे पदों पर काम कर चुके हैं, औऱ ओलाम इंटरनेशनल के भार में बिजनेस हेड (शुगर) रहे हैं।
टामक ने कहा कि सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टूवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (एसएटीएटी )कार्यक्रम से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि किफायती परिवहन व्यवस्था के लिए एसएटीएटी योजना उद्यमियों को कम्प्रेस्ड बायो गैस, सीबीजी संयंत्र स्थापित करने, मोटर वाहन और औद्योगिक ईंधन के रूप में बिक्री के लिए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को सीबीजी का उत्पादन और आपूर्ति करने में सक्षम बनाएगी ।
प्रैसमेड के बारे में बात करते हुए टामक ने कहा कि प्रैसमेड बायो सीएनजी उत्पन्न कर सकता है। लेकिन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। बायो-सीएनजी के लिए बाजार अनिश्चितता का सामना कर रहा है क्योंकि फीडस्टॉक समय पर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि बॉयो सीएनजी बाजार शहरों तक सीमित है जबकि चीनी मिलें गांवों में स्थित हैं। इसलिए उद्यमी के लिए लंबी दूरी के परिवहन पर खर्च ज्यादा होता है। अगर ओएमसी परिवहन लागत वहन करती है या कारखाने के बाहर कीमत तय करती है तो मुझे यकीन है कि अगले दो से तीन वर्षों में 500 बायो सीएनजी संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं। चीनी मिलों में गन्ने के रस की क्लीनिंग प्रक्रिया के दौरान बचा हुआ अपशिष्ट पदार्थ प्रैसमड होता है।
टामक ने कहा कि चीनी उद्योग खाद्य प्रसंस्करण में प्रमुख रोल निभा सकता है। किसानों की आधी भूमि पर गन्ने का उत्पादन होता है। अगर चीनी मिलें शेष आधे हिस्से की देखभाल कर लें, तो खाद्य प्रसंस्करण हब विकसित किए जा सकते हैं।
टामक ने टिकाऊ कृषि के लिए तीन बिंदुओं पर ध्यान देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि पहला टिकाऊ कृषि के लिए मिट्टी की उर्वरता कैसे बनाए रखें, दूसरा पानी का संरक्षण कैसे करें और तीसरा खेती को कैसे आसान बनाया जाए। उन्होंने कहा कि डीसीएम श्रीराम लिमिटेड इन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और पिछले पांच वर्षों में 576 अरब लीटर (बीएल) पानी बचाया। जिसकी पुष्टि भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने की है।
टामक ने कहा कि कॉरपोरेट जगत सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर जमीनी स्तर पर ले जा सकते है। चीनी उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है।