गांधीनगर। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और डेयरी उद्योग के दिग्गजों ने कहा है कि दुनिया की सर्वोच्च डेयरी के रूप में उभरने के लिए भारत को पशु उत्पादकता बढ़ाने, बेहतर पालन-पोषण और नस्ल सुधार पर ध्यान देना चाहिए। गांधीनगर में आयोजित भारतीय डेयरी संघ (इंडियन डेयरी एसोसिएशन) के 49वें डेयरी उद्योग सम्मेलन और प्रदर्शनी के गुरुवार के उद्घाटन सत्र में उन्होंने यह बात कही।
पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि भारतीय डेयरी उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें दुनिया के लिए दूध और डेयरी सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता है। समय की मांग है कि नस्ल सुधार एवं बेहतर पालन-पोषण पर ध्यान दिया जाए। प्रति मवेशी 2.5-3 लीटर के औसत दूध उत्पादन के साथ हम दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक हैं। यदि हम उत्पादकता को 10 लीटर तक बढ़ा दें तो हम दूध उत्पादन और डेयरी उद्योग में वैश्विक लीडर बन सकते है। इस लक्ष्य को हासिल करने और डेयरी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पशु उत्पादकता और नस्ल सुधार करने की जरूरत है।
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा कि दूध और विभिन्न दुग्ध उत्पाद देश की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पोषण विशेषज्ञों के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 380 मिली दूध की आवश्यकता होती है। इसके खराब होने की बात को ध्यान में रखते हुए प्रति व्यक्ति उत्पादन लगभग 420 मिली प्रतिदिन होना चाहिए। भारत ने 2020-21 में इस महत्वपूर्ण स्तर को पार कर लिया है। उन्होंने कहा कि देश में दूध की मांग 6 फीसदी की दर से बढ़ रही है, जबकि जनसंख्या वृद्धि दर केवल 1 फीसदी है। डयेरी उद्योग के निरंतर विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमें अपने दूध के लिए विदेशी बाजार विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। हमें दूध की गुणवत्ता सुधार पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
27 साल बाद गुजरात में आयोजित हो रहे इस तीन दिवसीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में भारत और विदेशों के डेयरी विशेषज्ञ और व्यवसायी, डेयरी सहकारी समितियां, दूध उत्पादक, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और योजनाकार, शिक्षाविद और अन्य हितधारक एक साथ एक प्लेटफार्म पर एकत्रित हुए है। इस सम्मेलन का विषय "दुनिया के लिए भारत डेयरी : अवसर और चुनौतियां" है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "पिछली बार जब गुजरात के आणंद में 1996 में डेयरी उद्योग सम्मेलन हुआ था तब भारत का दूध उत्पादन केवल 7.1 करोड़ टन था जो अब बढ़कर 22.2 करोड़ टन हो गया है। भारत का दूध उत्पादन तीन गुना बढ़ा है। इसकी तुलना में गुजरात में यह 30 लाख लीटर प्रतिदिन से नौ गुना बढ़कर 270 लाख लीटर हो गया है।"
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के अध्यक्ष मीनेश शाह ने इस मौके पर कहा, “हमारे पास विजन 2047 के लिए एक रूपरेखा तैयार है। इस समय तक हम गोजातीय उत्पादकता को चार गुना बढ़ाने, डेयरी निर्यात को कुल वैश्विक डेयरी निर्यात का 15 फीसदी तक बढ़ाने और सीओपी 26 (COP26) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्थायी ग्रीन प्रैक्टिस का निर्माण की योजना बना रहे हैं।” वर्ष 2021-22 में देश का दूध उत्पादन 22 करोड़ टन से अधिक था। लगातार बढ़ती आबादी, खरीद शक्ति बढ़ने और पोषण पर बढ़ते ध्यान से वर्ष 2047 तक दूध उत्पादन 62.8 करोड़ टन तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इस समय घरेलू डेयरी बाजार 13 लाख करोड़ रूपये का है जिसके वर्ष 2027 तक 30 लाख करोड़ से अधिक हो जाने का अनुमान है।
उद्घाटन सत्र में डेयरी उद्योग सम्मेलन की एक स्मारिका का भी अनावरण किया गया। इस अवसर पर डेयरी उद्योग के विकास में योगदान के लिए व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करने के लिए इंडियन डेयरी एसोसिएशन के पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (IDF) के अध्यक्ष पियर क्रिस्टियानो ब्रेज़ाले ने वैश्विक डेयरी उदयोग के बारे में अपने विचार पेश किए। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में दूध उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और पैकेजिंग समाधानों में नवीनतम तकनीकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। अहमदाबाद स्थित दो कंपनियों प्रांप्ट ग्रुप और एवरेस्ट इंस्ट्रूमेंट्स ने कुशल एवं बेहतर दूध प्रबंधन के लिए नई तकनीकों को लॉन्च किया।