मुजफ्फरनगर, 17 जून
कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्पित मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस और बंगलुरू स्थित सॉक्रेटस फाउंडेशन द्वारा ‘ग्रामीण भारत का एजेंडा, के राष्ट्रव्यापी कार्ययोजना के तहत एकदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को किया गया। कार्यक्रम का मुख्य मकसद कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के नीति निर्धारण में किसानों और गांव की भागीदारी को बढ़ावा देना है जिसके जरिये एक राष्ट्रीय एजेंडा तैयार किया जा सके जो नीतिगत बदलावों का वाहक बने और गांव व शहर के बीच के सामाजिक और आर्थिक दूरी को कम कर सके। इसी दृष्टिकोण को केंद्र में रखते हुए पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के गावों से आये प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और संबंधित विषय पर मौजूदा स्थिति, समस्याओं, चुनौतियों और उनके निवारण के लिए जरूरी नीतिगत बदलावों पर अपनी राय व्यक्त की।
ग्रामीण भारत का एजेंडा कार्यक्रम अपने आप में अनूठा है और इस विचार के साथ पहली बार देशव्यापी स्तर पर इसका आयोजन इसके आयोजकों द्वारा किया जा रहा है। इसके अगले चरण देश के दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी राज्यों में आयोजित किये जाएंगे।
किसानों और कृषि क्षेत्र की आर्थिक मजबूती के लिए किस तरह के नीतिगत बदलाव और कदमों की जरूरत है। इसके लिए किसानों की भागीदारी जरूरी है। इसी धारणा पर यह कार्यक्रम किया गया और गांव व किसानों के प्रतिनिधियों ने इस बात को पुरजोर तरीके से रखा कि उनकी राय के बिना ही सरकारें अधिकांश नीतियों का निर्धारण करती रही हैं। यही वजह है कि तमाम योजनाओं के बावजूद कृषि क्षेत्र बाकी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा वृद्धि नहीं कर पा रहा है और ग्रामीण इलाकों का पिछड़ापन दूर नहीं हो पा रहा है।
इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत यही रही कि इसमें किसानों ने न सिर्फ अपनी समस्याओं को उठाया बल्कि उनके समाधान भी उन्होंने ही सुझाए। कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था कैसे सुधरे इसके भविष्य को लेकर क्या रणनीति होनी चाहिए इस बारे में भी उन्होंने अपने विचार रखे।
चर्चा के दौरान सबसे ज्यादा किसानों ने मौजूदा समय में आवारा पशुओं की समस्या को खेती के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए सुझाव दिया कि प्रत्येक गांव या पंचायत स्तर पर बड़ी गौशालाएं खोली जाएं। इससे न सिर्फ इस समस्या का बेहतर समाधान हो सकेगा बल्कि गौशालाओं को आर्थिक रूप से भी व्यावहारिक बनाया जा सकेगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और खेतिहर मजदूरों का अभाव सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
फसलों की वाजिब और समय पर कीमत नहीं मिलने की समस्या पर भी किसानों ने अपनी राय रखी। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, उर्वरकों और कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल से खेतों की उर्वरा शक्ति का कम होना, पशुपालन, गांवों में लघु स्तर के फूड प्रोसेसिंग उद्योग को बढ़ावा नहीं मिलने, प्रदूषण सहित अन्य समस्याओं की ओर किसानों ने ध्यान दिलाया और इनका समाधान क्या होना चाहिए इस पर अपने सुझाव दिए।
रूरल वॉयस के एडिटर-इन चीफ हरवीर सिंह और सॉक्रेटस फाउंडेशन के डायरेक्टर प्रचुर गोयल और देबजीत मित्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया। मुजफ्फरनगर के होटल सॉलिटेयर इन में आयोजित इस चर्चा में किसानों द्वारा खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं, उनके समाधान और कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों के भविष्य को लेकर सार्थक चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में मुजफ्फरनगर जिले के अलावा, मेरठ, बागपत, बिजनौर, सहारनपुर और शामली जिले के किसानों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में भागादारी निभाने वाले प्रमुख लोगों में पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान, भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिला अध्यक्ष नरेंद्र पाल वर्मा, शामली जिले से जिला पंचायत सदस्य उमेश पंवार, जिला पंचायत सदस्य अरविंद पंवार, शामली जिले में एकीकृत गुड़ यूनिट संस्थापक और बलरामपुर चीनी मिल समूह के पूर्व ग्रुप प्रमुख (टेक्नीकल) के पी सिंह, मुजफ्फरनगर जिला पंचायत की पूर्व सदस्य और शूटर रेणु तोमर, केवीके बघरा की इंजार्ज डॉ. सविता आर्य, पंतनगर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ अशोक पंवार, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार, भूमि विकास बैंक, चरथावल के पूर्व चेयरमैन ठाकुर ओमपाल आर्य, इमलाख, प्रधान दीदाहेड़ी, तेजबीर सिंह राणा भड़ल बागपत, तिसंग बावना के मंत्री चौधरी उधम सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य बागपत बिजेंद्र सिंह निनाना, सहारनपुर के कासमपुर के पूर्व प्रधान राजबीर सिंह, योगेंद्र सिंह राणा बिजनौर, देवेंद्र कुमार बिजनौर, विकास कुमार तिगड़ी मेरठ, सीपी सिंह इकलौता मोदीपुरम, संतोष सिरोही सकौती शामिल रहे। उनके समेत करीब 100 लोगों ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भागीदारी की।