हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए आज (5 अक्टूबर, शनिवार) मतदान हो रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। वहीं, कांग्रेस की उम्मीदें किसान, जवान और सत्ता विरोधी लहर पैदा करने वाले मुद्दों पर टिकी है। चुनाव प्रचार थमने के बाद शुक्रवार को सोशल मीडिया के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा।
किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत सात गारंटियों के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस का जोर किसान आंदोलन से पैदा नाराजगी और भाजपा के 10 साल के शासन की नाकामियों को भुनाने पर है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस ने पूर्व सांसद अशोक तंवर की घर वापसी करवाकर भाजपा को तगड़ा झटका दिया। तंवर के जरिए कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने और दलित मतदाताओं में संदेश देने का प्रयास कर रही है।
इस चुनाव में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और दीपेंद्र हुड्डा ने जिस तरह धुआंधार प्रचार किया और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सियासी समीकरण साधने का प्रयास किया, उससे कांग्रेस को काफी मदद मिली है। हालांकि, पार्टी में गुटबाजी और कुमारी सैलजा की नाराजगी का मुद्दा पूरे चुनाव में छाया रहा। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी कुमारी सैलजा की सोनिया गांधी से मुलाकात से हलचल मची रही। भले ही कांग्रेस ने अशोक तंवर को शामिल कर डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया।
वहीं, भाजपा का चुनाव अभियान सीएम नायब सिंह सैनी और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर केंद्रित रहा है। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भाजपा के चुनाव प्रचार में फ्रंट पर नजर नहीं आए। जबकि साढ़े नौ साल हरियाणा सरकार की कमान उन्हीं के पास थी। इस चुनाव में पीएम मोदी ने भी बहुत अधिक रैलियां नहीं की। पिछले दो दिनों में हरियाणा में प्रधानमंत्री मोदी की कोई रैली नहीं हुई। हालांकि, गुरुवार को उन्होंने ट्वीट के जरिए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
पीएम मोदी ने भरोसा जताया कि हरियाणा के लोग फिर से भाजपा को अपना आशीर्वाद देने वाले हैं और कांग्रेस की विभाजनकारी व नकारात्मक राजनीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। पीएम मोदी ने कांग्रेस को लाल और दामाद का सिंडिकेट करार दिया। डोर-टू-डोर जनसंपर्क के दौरान सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि हम प्रचंड बहुमत के साथ कमल खिला रहे हैं। भाजपा ही ऐसी सरकार है जिसने बिना खर्ची-बिना पर्ची मैरिट के आधार पर युवाओं को सरकारी नौकरी देने का काम किया है।
वहीं, राहुल गांधी का दावा है कि हरियाणा में कांग्रेस की आंधी चल रही है और उनकी पार्टी गरीबों और किसानों की सरकार बनाएगी। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि भाजपा की फैलाई बेरोजगारी की बीमारी ने हरियाणा की जड़ों, युवाओं के भविष्य और प्रदेश की सुरक्षा को गहरे संकट में डाल दिया है। हरियाणा के लोग इसे अच्छी तरह समझते हैं। वे मोदीजी की पूंजीवादी नीतियों के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अगला प्रहार करेंगे।
चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर लोगों की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया। हालांकि, नायब सिंह सैनी को खुद अपनी सीट जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ा सकता है। भाजपा का फोकस अपने 10 साल के काम, मोदी के नाम, बीजेपी की नीतियों और कांग्रेस विरोधी मतों को लामबंद करने पर है। जबकि बेरोजगारी, अग्निवीर और किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा नेताओं को तीखे सवालों को सामना करना पड़ा है। प्रदेश में हुए किसान आंदोलनों का असर भी इन चुनाव पर पड़ सकता है। चावल निर्यात पर लगी पाबंदियों और धान की कीमतों में आई गिरावट ने भी किसानों की नाराजगी बढ़ाने का काम किया है।
कांग्रेस किसानों के साथ-साथ युवाओं, व्यापारियों और आम जनता के रोजी-रोटी से जुड़े मुद्दों को उठाकर भाजपा पर प्रहार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जवानों का मुद्दा उठाते हुए ट्वीट किया कि पश्चिम एशिया में युद्ध के बीच मोदी सरकार की नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इजरायल में लगभग 15,000 भारतीय श्रमिकों की भर्ती में जुटी है। यह मोदी सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण पैदा हुई बेलगाम बेरोजगारी का नतीजा है। हरियाणा के युवा जो इन युद्ध क्षेत्रों में नौकरी की तलाश करने के लिए मजबूर हैं, कल वोटिंग के दौरान भाजपा को करारा सबक सिखाएँगे!
हरियाणा चुनाव में इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा गठबंधन समेत कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनेलो और जेजेपी अपनी राजनीतिक जमीन बचाने का प्रयास कर रही हैं। बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही इनेलो प्रदेश में कुछ सीटों पर टक्कर दे रही है जबकि जेजेपी को किसान आंदोलन के साथ भाजपा का साथ देने को लेकर सवालों का सामना करना पड़ रहा है। खुद दुष्यंत चौटाला उचाना कलां में अपनी सीट पर घिरे हुए हैं। कुछ सीटों को छोड़कर मुख्य मुकालबा भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है।