कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के 61वें दिन की शुरुआत नासिक के चांदवड में किसान सम्मेलन के साथ की। उनके साथ पूर्व कृषि मंत्री और राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत भी किसान सम्मेलन में शामिल हुए। इस मौके पर राहुल गांधी ने पांच किसान न्याय गारंटियों के बारे में बताते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन "किसानों की आवाज" बनेगा और किसानों के हित में नीतियां बनाई जाएंगी। उनके और इंडिया गठबंधन सरकार के दरवाजे किसानों के लिए हमेशा खुले रहेंगे।
किसानों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने एमएसपी की कानूनी गारंटी तथा डॉ. स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार एमएसपी तय करने का वादा किया। साथ ही किसानों के कर्ज माफ करने और कृषि ऋण माफी आयोग बनाने की बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव कर फसलों के नुकसान के 30 दिनों के भीतर किसानों के बैंक खाते में भुगतान की गारंटी भी दी। साथ ही किसानों की उपज को आयात-निर्यात नीतियों की मार से बचाने और किसानों को जीएसटी से बाहर करने का भरोसा दिलाया।
केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में 20 से 25 लोगों के पास देश की 70 करोड़ आबादी के बराबर संपत्ति है। मोदी सरकार ने उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। यह मनरेगा के कई साल के वर्षों के बजट के बराबर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने किसानों का 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था। अगर अमीर लोगों का कर्ज माफ किया जा सकता है तो किसानों का कर्ज क्यों नहीं माफ होता।
किसानों रैली को संबोधित करते हुए एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार ने केंद्र सरकार पर किसानों और कृषि क्षेत्र की दुर्दशा के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। किसान विरोधी, युवा विरोधी सरकार को हराना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) लोगों के हितों के लिए संघर्ष में राहुल गांधी के साथ है।
बाद में, कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने ओज़ार, नासिक में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इंडिया गठबंधन की सरकार किसानों की ऋण माफी के लिए एक अलग आयोग का गठन करेगी। निजी कंपनियों की बजाय किसानों के हित में नई फसल बीमा योजना बनाई जाएगी। कृषि से संबंधित वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर करने के लिए जीएसटी अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीति चंदा दाताओं का सम्मान और अन्नदाताओं का अनादर करना है। लेकिन इंडिया गठबंधन की सरकार के नीति निर्धारण का केंद्र बिंदु किसान होंगे।