कर्नाटक विधानसभा चुनाव के जोरदार प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम को थम गया। राज्य में 10 मई को एक चरण में मतदान होना है। सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस और जद(एस) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। तीनों पार्टियां सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी जोर आजमाइश में जुटी हैं।
चुनाव प्रचार के अंत में भाजपा ने चुनावी रैली के दौरान राज्य के लिए संप्रभुता शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की है। साथ ही सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई करने और पार्टी की "मान्यता" रद्द करने की भी मांग की गई है। इस शिकायत पर चुनाव आयोग ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। चुनाव प्रचार के दौरान सभी प्रमुख उम्मीदवारों ने मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। सत्तारूढ़ भाजपा की कोशिश सत्ता में दोबारा वापसी कर लगभग चार दशक पुरानी उस परंपरा को तोड़ने की है जिसके तहत इस प्रमुख दक्षिण भारतीय राज्य में हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता में वापस आने की पूरी आस लगाए बैठी है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए है यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने पर उसकी सरकार चली गई थी और भाजपा सत्ता पर काबिज हो गई थी। राज्य में जब से भाजपा का उभार हुआ है तब से उसे कभी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इसलिए 224 सदस्यीय विधानसभा में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों का लक्ष्य 'पूर्ण बहुमत वाली सरकार' बनाना है। पूर्ण बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए।
सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और जातिगत आरक्षण की मांगों के आरोपों से जूझ रही है। ये सभी मुद्दे मतदान में उसके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का मुकाबला करने के लिए भगवा पार्टी ने अपने 'विकास कार्ड' का इस्तेमाल किया है।
'किंगमेकर' की बजाय 'किंग' के रूप में उभरने की चाह में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जेडीएस ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वह भी अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या हासिल करने की उम्मीद कर रही है।
कर्नाटक चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान नेताओं ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर न सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाए बल्कि भाषाई स्तर पर भी एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव प्रचार के दौरान "जहरीला सांप", "विषकन्या" और "नालायक बेटा" जैसे शब्दों के इस्तेमाल को देखते हुए चुनाव आयोग ने 2 मई को एक परामर्श जारी कर सभी राजनीतिक दलों और उनके स्टार प्रचारकों को अपने बयानों में सावधानी और संयम बरतने और चुनावी माहौल को खराब नहीं करने के लिए कहा गया।
चुनाव आयोग ने किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के मतदान के दिन और उससे एक दिन पहले मीडिया सर्टिफिकेशन और निगरानी समिति से मंजूरी के बिना प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है। आयोग ने कहा है कि आपत्तिजनक और भ्रामक विज्ञापन पूरी चुनाव प्रक्रिया को दूषित करते हैं। मीडिया में विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों पर आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियां और स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार के अपेक्षित मानकों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
चुनाव आयोग ने प्रिंट मीडिया के संपादकों को इस संबंध में अलग से पत्र भी लिखा है। पत्र में आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के मुताबिक उनके समाचार पत्रों में प्रकाशित इस तरह के विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए वही जिम्मेदार हैं।
विधानसभा की 224 सीटों के लिए 2,613 उम्मीदवार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इनमें 185 महिला उम्मीदवार हैं और एक 'अन्य' श्रेणी से है। सत्तारूढ़ भाजपा ने 224 सीटों पर, विपक्षी कांग्रेस ने 223 पर और जेडीएस ने 207 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। वोटों की गिनती 13 मई को होगी।