चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के 11 दिन और दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद वोटिंग से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। मतदान के आंकड़े जारी न करने को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठ रहे थे। मंगलवार रात जारी चुनाव आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार, 19 अप्रैल को 102 सीटों पर हुई वोटिंग में 66.14 फीसदी मतदान हुआ। जबकि 19 अप्रैल को चुनाव आयोग की विज्ञप्ति में कहा गया था कि शाम 7 बजे तक करीब 60 फीसदी मतदान हुआ। मतदान प्रतिशत में 6 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान का डेटा चुनाव आयोग ने चार दिन बाद जारी किया है। 88 सीटों पर हुए दूसरे चरण के मतदान के दिन चुनाव आयोग ने शाम 7 बजे तक लगभग 60.96 फीसदी वोटिंग होने की जानकारी दी थी। जबकि हालिया विज्ञप्ति में चुनाव आयोग ने बताया कि दूसरे चरण में 66.71 फीसदी मतदान हुआ। यानी दूसरे चरण के मतदान के आंकड़े में 5.75 फीसदी का अंतर आ गया।
सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव आयोग ने मतदान का डेटा कई दिनों बाद जारी क्यों किया? और मतदान प्रतिशत छह फीसदी तक कैसे बढ़ गया। माना जा सकता है कि सभी बूथों से मतदान के आंकड़े एकत्रित करने में समय लगा होगा। लेकिन 19 अप्रैल को हुए मतदान का डेटा 11 दिनों बाद 30 अप्रैल को जारी किया गया।
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे योगेंद्र यादव ने कहा कि वह 35 वर्षों से भारत में चुनावों को देखते आ रहे हैं। वोटिंग वाले दिन की शाम को जारी वोटिंग के आंकड़ों और फाइनल आंकड़ों में 3 से 5 फीसदी का अंतर कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन फाइनल डेटा 24 घंटों के भीतर मिल जाता था। सटीक आंकड़े जारी होने में 11 दिनों की देरी (पहले चरण के लिए, दूसरे चरण के लिए 4 दिन) असामान्य और चिंताजनक है। चुनाव आयोग ने हरेक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या और कुल पड़े वोटों की संख्या का खुलासा भी नहीं किया है। इस तरह आंकड़े छुपाना चुनावों की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े करता है।
उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. सुधीर पंवार ने का कहना है कि चुनाव आयोग ने पहले और दूसरे चरण में हुई वोटिंग के आंकड़े जारी किए हैं। मतदान के दिन व कल जारी किए गये आंकड़ों में अंतर को जब वोटरों की संख्या में बदलते हैं तो कई सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि गिनती में इतना अन्तर क्यों है और पहले चरण का अंतर अधिक क्यों है।
मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी सवाल उठाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने फाइनल वोटिंग का डेटा जारी किया है। मतदान प्रतिशत में 5.75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। क्या यह सामान्य है? क्या कुछ ऐसा है जो मैं समझ नहीं पा रहा हूं?”
मतदान के दिन शाम तक आए आंकड़ों और फाइनल आंकड़ों में कुछ अंतर हो सकता है। क्योंकि कई जगह मतदान देर तक चलता है। और मतदान केंद्रों से डेटा एकत्रित करने में समय लग सकता है। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया अगले दिन तक पूरी हो जानी चाहिए। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्रों के कुल मतदाताओं और डाले गये कुल वोटों की संख्या का जारी न होना भी संदेह पैदा करता है। मतदान प्रतिशत की जानकारी देने वाले चुनाव आयोग के ऐप पर भी मतदान के बाद अगले कई दिनों तक डेटा अपडेट होता रहता है।
2019 में मतदान प्रतिशत के साथ-साथ लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं और कुल पड़े वोटों का आंकड़ा भी जारी किया गया था। साथ ही 2014 से ही तुलना भी की थी। लेकिन इस बार सिर्फ मतदान प्रतिशत का आंकड़ा चुनाव आयोग ने जारी किया है। 30 अप्रैल को चुनाव आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, फाइनल मतदान का आंकड़ा मतगणना के बाद पोस्टल बैलेट की गिनती को कुल गिने गए वोटों में जोड़कर जारी किया जाएगा।