केरल के वायनाड में राहुल गांधी के सामने लेफ्ट ने भले ही उम्मीदवार उतार दिया लेकिन राजस्थान में कांग्रेस ने एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लिए छोड़ दी है। इंडिया गठबंधन के तहत सीकर लोकसभा सीट से सीपीएम ने किसान नेता कॉमरेड अमरा राम को उम्मीदवार घोषित किया है। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी स्वामी सुमेधानंद सरस्वती से है जो दो बार से सीकर के सांसद हैं।
अमरा राम राजस्थान में किसान आंदोलन और लेफ्ट राजनीति का जाना-पहचाना नाम हैं। चार बार विधायक रह चुके अमरा राम फिलहाल ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सीपीएम के प्रदेश सचिव हैं। उनकी छवि बहुत सादगी से जमीनी संघर्ष करने वाले नेता की है, हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें दांतारामगढ़ से हार का सामना करना पड़ा था।
सीकर की पहचान राजस्थान में लेफ्ट के असर वाले के इलाके के रूप में रही है। सीकर की धोद विधानसभा सीट से अमरा राम तीन बार और दांतरामगढ़ से एक बार विधायक रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे लेफ्ट की पकड़ कमजोर पड़ती गई और 2023 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट का राज्य में खाता भी नहीं खुला। अमरा राम दांतारामगढ़ से तीसरे स्थान पर रहे। प्रदेश में कांग्रेस को भी करारी हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत एक सीट सीपीएम को देने का फैसला किया है। हालांकि, यह फैसला देर से लिया गया। कई राजनीति विश्लेषक इस फैसले को प्रदेश कांग्रेस की अंदरुनी खींचतान से जोड़कर भी देख रहे हैं। सीकर जिले की 8 में से 5 विधानसभा सीटें से कांग्रेस के पास हैं। इसलिए कांग्रेसी यह सीट सीपीएम को देने को पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में यह सीट इंडिया गठबंधन का कड़ा इम्तिहान होगी। आर्य समाजी सुमेधानंद का मुकाबला वामपंथी अमरा राम से होगा।
सीकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का गृह जिला है। वे सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ सीट से विधायक हैं और उनके सीकर से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। मगर वे ना खुद मैदान में उतरे और न ही कांग्रेस ने अपने किसी नेता को सीकर से उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के युवा नेता सीताराम लांबा भी सीकर से टिकट के दावेदार थे।
एक तरफ जहां नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल की आरएलपी से गठबंधन को लेकर पेंच फंसा हुआ है वहीं सीकर सीट सीपीएम को देकर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया। बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस नेताओं के विरोध के चलते ही अब तक हनुमान बेनीवाल के साथ समझौता नहीं हो पाया। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रयासरत हैं लेकिन कांग्रेस के जाट नेता बेनीवाल से गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं।
चूरू से भाजपा सांसद रहे राहुल कस्वां को टिकट देकर कांग्रेस ने शेखावाटी की राजनीति में पहले ही उथलपुथल मचा दी है। राजस्थान का यही इलाका ऐसा है जहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण थोड़ा कम है और किसान आंदोलनों का असर रहा है। संभवत: इसलिए कांग्रेस ने सीकर सीट लेफ्ट को देकर भाजपा विरोधी मतदाताओं को लामबंद करने की कोशिश की है। हालांकि, सीपीएम के मुकाबले सीकर से कांग्रेस की दावेदारी ज्यादा मजबूत मानी जा रहा थी।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार को राजस्थान से पांच और उम्मीदवारों की घोषणा की, जिनमें गंगानगर से एआईसीसी सचिव कुलदीप इंदौरा और झालवाड़-बारां सीट से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन, जयपुर शहर से एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के मालिक सुनील शर्मा, पाली से संगीता बेनीवाल और बाड़मेर से हनुमान बेनीवाल की पार्टी छोड़कर आए उमेदा राम बेनीवाल को टिकट दिया है।
25 लोकसभा सीटों वाले राजस्थान में 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को दो चरणों में मतदान होगा। 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा ने राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सामने भाजपा के मिशन 25 की हैट्रिक बनाने से रोकने की चुनौती है।