उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के 7 चरणों में से दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं। इन दो चरणों में अभी तक 113 सीटों पर मतदान हुआ है और बाकी पांच चरणों में बाकी 290 सीटों पर मतदान होने हैं। लेकिन अब भी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सभाओं में जिस तरह भारी भीड़ उमड़ रही है, उसने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता बढ़ा दी है। खास बात यह है कि भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भी उतनी भीड़ नहीं आ रही है।
इस विधानसभा चुनाव में अखिलेश अपने दम पर पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। इसलिए यह उनके लिए भी नेतृत्व और संगठन को चलाने की क्षमता साबित करने की चुनौती है। इस चुनाव के लिए अखिलेश ने राष्ट्रीय लोक दल समेत कई छोटी-बड़ी पार्टियों के साथ समझौता किया है। इनमें जाति आधारित पार्टियां भी शामिल हैं। अखिलेश की चुनावी रैलियों में लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। खासकर युवाओं में उनके प्रति काफी आकर्षण देखा जा रहा है। स्थिति यह है कि रैली की जगहों पर दूर-दूर तक खचाखच भीड़ नजर आती है।
भारतीय जनता पार्टी अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई चेहरे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर चुनाव लड़ रही थी। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहे हैं और अखिलेश की सभाओं में भीड़ बढ़ रही है, भाजपा ने अखिलेश पर हमले तेज कर दिए हैं। पार्टी के नेता चुनावी सभाओं में 2012 से 2017 के दौरान अखिलेश सरकार के समय तथाकथित कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा रहे हैं और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा रहे हैं। हालांकि विपक्षी नेता भी योगी सरकार पर भ्रष्टाचार हॉट सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप लगा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने सोमवार को कानपुर देहात में एक रैली को संबोधित किया। उसमें समाजवादी पार्टी के सरकार के समय भाई भतीजावाद, किसानों, गरीबों और महिलाओं की अनदेखी किए जाने के आरोप लगाए। स्थिति को संभालने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने आने वाले चरणों में घर-घर जाकर प्रचार अभियान तेज करने की योजना बनाई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने पक्ष में वोट देने के लिए राजी किया जा सके। हालांकि पहले दो चरणों में कई भाजपा नेताओं को तब मायूसी का सामना करना पड़ा जब घर-घर प्रचार के दौरान उनका स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया और नारे भी लगाए। कई जगहों से उन्हें खदेड़ने की खबरें भी आई।
अखिलेश यादव अभी तक अमरोहा, उन्नाव, लखनऊ, बिजनौर, जालौन, मेरठ, फिरोजाबाद, महोबा, रामपुर जैसी जगहों पर चुनावी सभाएं आयोजित कर चुके हैं। समाजवादी पार्टी ने आने वाले चरणों के लिए उनकी और कई सभाएं करने की योजना बनाई है।
एक खास बात यह भी देखने को मिल रही है कि अखिलेश चुनाव प्रचार में काफी राजनीतिक परिपक्वता दिखा रहे हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी पर सीधे हमले कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने कांग्रेस या बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ बहुत कम बोला है। इस तरह उन्होंने मतदाताओं में यह संदेश भेजने की कोशिश की है कि इस चुनाव में मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है।
समाजवादी पार्टी को समाज के गरीब और वंचित वर्ग के हित में बताते हुए वे बहुजन समाज पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक को भी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश में मतदान की शुरुआत पश्चिमी इलाके से हुई है। यहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है। समाजवादी पार्टी का बड़ा वोट बैंक मुस्लिम और यादव समुदाय में माना जाता है। इसलिए इस इलाके में पार्टी को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों को साथ लेने के लिए अखिलेश ने राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी के साथ समझौता किया। दोनों चरणों में उन्हें इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है। कृषि कानूनों के चलते जाट किसानों में भारतीय जनता पार्टी को के प्रति काफी नाराजगी रही है।
प्रदेश में 10 और 14 फरवरी के बाद 20, 23, 27 फरवरी और 3 तथा 7 मार्च को मतदान होने हैं। मतगणना बाकी अन्य चार राज्यों के साथ 10 मार्च को होगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं और मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ से अधिक है।