आसन्न विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर असंतोष की सुगबुगाहट दिखने लगी है। सभी राज्यों में स्थानीय स्तर के नेता चाहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व अभी तक ऐसा करने से बच रहा है। शायद उसे भी इस बात का एहसास है कि किसी एक नाम का ऐलान करने के बाद पार्टी के भीतर गुटबाजी तेज हो सकती है। केंद्रीय नेतृत्व चुनाव से पहले इससे बचना चाहता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे महत्वपूर्ण राज्य पंजाब में उसने इस बात का संकेत दे दिया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ही आगे मुख्यमंत्री के उम्मीदवार रहेंगे। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी एक बार फिर बढ़ने के आसार हो गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और अब चन्नी के कामकाज की वे लगातार आलोचना भी करते रहे हैं। वे चुनाव प्रचार में चन्नी से अलग वादे भी कर रहे हैं।
इस बीच एक नए घटनाक्रम के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह के ठिकाने पर छापा मारा है। ईडी ने मंगलवार सुबह 10 जगहों पर छापे मारे जिनमें एक भूपिंदर सिंह का ठिकाना भी है। ईडी का कहना है किए छापे अवैध रेत खनन के सिलसिले में मारे गए हैं।
दरअसल, सोमवार को पंजाब कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया। उस वीडियो में अभिनेता सोनू सूद चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रहे हैं। वैसे तो सोनू सूद अगर अपने ट्विटर हैंडल से ऐसा वीडियो जारी करते तो कोई बात नहीं थी, लेकिन यह वीडियो पार्टी के आधिकारिक हैंडल से जारी हुआ है इसलिए माना जा रहा है कि यह केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से ही हुआ है। सोनू सूद की बहन मालविका सूद हाल ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई हैं। पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहते नवजोत सिंह सिद्धू ने उनके खिलाफ अभियान सा छेड़ रखा था। जिसके बाद अंततः कैप्टन को जाना पड़ा। सिद्धू को उम्मीद थी कि पार्टी नेतृत्व उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर बिठाएगा। लेकिन नेतृत्व ने दलित चेहरे के रूप में चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, जिसे मास्टर स्ट्रोक भी बताया गया। वैसे अभी तक चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला सही लग रहा है। पार्टी के खिलाफ आम लोगों में जो माहौल था चन्नी ने 3 महीने में उसे कम करने में सफलता पाई है। इसके अलावा वह भाजपा और उसके नेतृत्व का जिस अंदाज में मुकाबला कर रहे हैं, उसे भी पार्टी के भीतर काफी तारीफ मिल रही है। सोशल मीडिया पर भी उनकी प्रशंसा हो रही है। किसी ने लिखा, “हाल के वर्षों में कांग्रेस के साथ एक ही अच्छी बात हुई, और वह हैं चरणजीत सिंह चन्नी।”
लेकिन चन्नी को मिल रहे इस समर्थन से सिद्धू की आकांक्षाओं पर पानी फिरता दिख रहा है। इस वीडियो के आने के बाद 24 घंटे तक तो सिद्धू की तरफ से कोई बयान नहीं आया। लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि सिद्धू जिस तरह की शख्सीयत है देर-सबेर जरूर सामने आएंगे।
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के लिए सिर्फ पंजाब में पार्टी को एकजुट रखने की समस्या नहीं, बल्कि उत्तराखंड और गोवा में भी उसे इसका सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड में हरीश रावत चाहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए तो गोवा में दिगंबर कामत मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले हुए हैं। शायद यह भी वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक चन्नी को आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया है। वैसे भी 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने मतदान से करीब एक हफ्ता पहले ही अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था। अभी पंजाब में मतदान होने में एक महीने का समय बाकी है।
उत्तराखंड में पार्टी को एक और समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहां भाजपा सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत को भाजपा ने निकाल दिया है। अब उनके कांग्रेस में वापस आने की चर्चा है। हरक सिंह रावत 2017 से पहले हरीश रावत की कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। लेकिन 18 मार्च 2016 को उन्होंने बगावत कर दी थी जिससे हरीश रावत सरकार संकट में आ गई थी। इसलिए हरीश रावत किसी भी सूरत में हरक सिंह रावत को कांग्रेस में वापस लिए जाने के पक्ष में नहीं हैं।
लेकिन यहां भी दूसरे समीकरण मायने रखते हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह की हरीश रावत के साथ अच्छी नहीं बनती है। वे चाहते हैं कि हरक सिंह रावत पार्टी में वापस आएं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी हरक सिंह रावत की वापसी के पक्ष में हैं। वैसे हरीश रावत के विरोध के बावजूद हरक सिंह रावत की वापसी तय मानी जा रही है। ऐसे में यह देखना होगा कि खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करवाने का दबाव डालने वाले हरीश रावत, हरक सिंह के साथ आगे किस तरह एडजस्ट करते हैं। फिलहाल तो वे यही कह रहे हैं कि व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है, पार्टी सामूहिक स्तर पर जो फैसला करेगी वही होगा।