वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर प्रदेश को कर्ज के जाल में फंसाने का आरोप लगाया है। रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि 2016-17 में प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की वृद्धि दर 11.4 फ़ीसदी थी जो 2020-21 में घटकर शून्य से 6.4 फ़ीसदी नीचे आ गई।
चिदंबरम के अनुसार राज्य पर कर्ज का बोझ 6.62 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। यह जीएसडीपी का 34.4 फ़ीसदी है। इस कर्ज में से 40 फ़ीसदी योगी सरकार के दौरान जमा हुआ है। मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को आर्थिक मामलों की कोई समझ नहीं है।
उन्होंने कहा, जहां तक मुझे लगता है योगी जी को इकोनॉमिक्स की बिल्कुल समझ नहीं है। उनकी सरकार जीएसडीपी का आधार बढ़ाने के कदम उठाए बिना कर्ज पर कर्ज ले रही है। यही कारण है कि सरकार पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि देश का सबसे अधिक आबादी वाला और देश को आठ प्रधानमंत्री देने वाला राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश सभी सामाजिक आर्थिक पैमाने पर पिछड़ा हुआ है, चाहे वह स्वास्थ्य की बात हो, नौकरी की या शिक्षा की।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत के आधे से भी कम है और योगी शासन के दौरान इसमें 1.9 फ़ीसदी की कमी आई है। चिदंबरम ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की 38 फ़ीसदी आबादी गरीब है। प्रदेश के 12 जिले ऐसे हैं जहां आधी आबादी भीषण गरीबी में है। तीन जिले तो ऐसे हैं जहां की 70 फ़ीसदी आबादी बेहद गरीब है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बेरोजगारी दर देश के औसत का लगभग दोगुना है, जिसका असर यहां के युवाओं पर हो रहा है। उन्हें नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। पूर्व वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में बड़े पैमाने पर पद खाली हैं, लेकिन आर्थिक संसाधन ना होने के चलते पद नहीं भरे जा रहे हैं। चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में प्रदेश की तथाकथित दुर्दशा से निकलने के लिए लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की।