पंजाब विधानसभा की 117 सीटों के लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में करीब एक चौथाई के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स और पंजाब इलेक्शन वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार 20 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए 1304 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 1276 के एफिडेविट के विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें से 315 उम्मीदवारों ने आपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है।
इनमें से 218 के खिलाफ गंभीर किस्म के मामले हैं। 15 ने महिलाओं के खिलाफ अपराध की जानकारी दी है। दो पर बलात्कार का आरोप है। 2017 में सिर्फ 9 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी थी। पार्टियों के हिसाब से देखा जाए तो शिरोमणि अकाली दल के 68 फीसदी, आम आदमी पार्टी के 58 फीसदी और भारतीय जनता पार्टी के 27 फीसदी उम्मीदवारों ने एफिडेविट में अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है।
एडीआर की इकाई पिउ के राज्य संयोजक जसकीरत सिंह ने यह रिपोर्ट जारी की। आधे से ज्यादा उम्मीदवारों ने 12वीं तक की ही पढ़ाई की है। 695 प्रत्याशियों ने पांचवी से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की है। सिर्फ 483 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी शिक्षा ग्रेजुएट या इससे ऊपर की है।
इस बार चुनाव लड़ने वालों के पास पिछली बार के मुकाबले ज्यादा पैसे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में औसत संपत्ति 3.49 करोड़ रुपए थी, इस बार 4.31 करोड़ रुपए है। आम आदमी पार्टी के मोहाली से उम्मीदवार कुलवंत सिंह के पास सबसे ज्यादा 238 करोड़ रुपए की संपत्ति है। कुलवंत सिंह रियल एस्टेट बिजनेस में हैं। दूसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल (202 करोड़) और तीसरे नंबर पर मुक्तसर से कांग्रेस प्रत्याशी करण कौर बरार (155 करोड़) हैं। 226 प्रत्याशियों के पास पांच करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है।