नवगठित सहकारिता मंत्रालय ने 12 और 13 अप्रैल को दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन को 6 सत्र में बांटा गया था। इनमें सहकारिता के वर्तमान कानूनी ढांचे से लेकर इसके संचालन की बाधाएं, उन्हें दूर करने के उपाय, पूंजी तक सहकारी संस्थाओं की पहुंच, इनकी गतिविधियों का विविधीकरण, प्रशिक्षण, शिक्षा, महिलाओं, युवाओं और कमजोर वर्गों को सहकारिता से जोड़ना जैसे विषयों पर चर्चा की गई। सम्मेलन का उद्घाटन गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने भी अपनी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। सहकारिता क्षेत्र को उचित गति प्रदान करने तथा सहकार से समृद्धि की प्राप्ति के उद्देश्य से नए सहकारिता मंत्रालय का गठन दिनांक 6 जुलाई 2021 को किया गया था।
इस अवसर पर सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश के स्तर पर सहकारिता कानून बनाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। इसमें राज्यों के बनाए नियम ही चलेंगे। लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा कि विभिन्न राज्यों में सहकारिता कानून अलग अलग समय के बने हुए हैं और उनमें सामंजस्य जरूरी है।
पहले सत्र का विषय था सहकारिता से संबंधित वर्तमान कानूनी ढांचा, नियामक नीति की पहचान, संचालन संबंधी बाधाएं और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक उपाय जिससे व्यापार करने में आसानी हो और सहकारी समितियों और अन्य आर्थिक संस्थाओं को एक समान अवसर प्रदान किया जा सके। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. जी.आर. चिंताला, अध्यक्ष, नाबार्ड ने की।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में सहकारी सिद्धांतों, लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्यों की बढ़ती भागीदारी, पारदर्शिता, नियमित चुनाव, मानव संसाधन नीति, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने, खाता रखने और लेखा परीक्षा सहित शासन को मजबूत करने के लिए सुधार पर चर्चा हुई। इस सत्र की अध्यक्षता मनोज आहूजा, सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार ने की।
तीसरा सत्र बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, इक्विटी आधार को मजबूत करने, पूंजी तक पहुंच, गतिविधियों का विविधीकरण, उद्यमिता को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, जैसे विषयों पर आधारित था जिसकी अध्यक्षता उपेंद्र प्रसाद सिंह, सचिव, कपड़ा मंत्रालय ने की। चौथे सत्र में प्रशिक्षण, शिक्षा, ज्ञान साझा करना और जागरूकता निर्माण जिसमें सहकारी समितियों को मुख्यधारा में लाना, प्रशिक्षण को उद्यमिता से जोड़ना, महिलाओं, युवा और कमजोर वर्गों को शामिल करना जैसे विषयों पर चर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, सचिव (डेयर) ने की।
पांचवें सत्र में नई सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, सदस्यता बढ़ाना, सामूहिकता को औपचारिक बनाना, सतत विकास के लिए सहकारी समितियों का विकास करना, क्षेत्रीय असंतुलन को कम करना जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। छठे और आखिरी सत्र में सहकारिता को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा में सहकारी समितियों की भूमिका पर चर्चा हुई। राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन दिवस के दिन दो दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव तथा संयुक्त सचिव, 36 राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और रजिस्ट्रार सहकारिता, 40 सहकारी तथा लगभग 40 सहकारी और अन्य प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों एवं सहकारी संगठनों के प्रमुख तथात सदस्यों ने भाग लिया ।