सरकार सहकारी समितियों की सदस्यता 25 करोड़ से बढ़ाकर 70 करोड़ करने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी। सरकार हर गांव को सहकारी समितियों से जोड़ना चाहती है और कोई भी गांव बिना सहकारी समितियों के अछूता नहीं रहना चाहिए। प्राथमिक सहकारी समितियों को 2,516 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा आयोजित 69वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह एवं सहकार मेला-2022 का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल वर्मा ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि नये मॉडल उपनियम पास होने के बाद प्राथमिक सहकारितायां हर तरह के ऋण किसानों को प्रदान करेगी जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
सहकारिता राज्य मंत्री ने आगे कहा कि सहकारी समितियों का डिजिटलीकरण उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि करने के साथ-साथ उनके कार्य में पारदर्शिता भी लाएगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिक सहकारी समितियों, जिला सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों को सॉफ्टवेयर के माध्यम से जोड़ा जाएगा जिससे उनके खरीद कार्य में सुधार होगा। राज्य मंत्री ने कहा कि जेम पोर्टल पर सहकारी समितियों की ऑनबोर्डिंग से इन सहकारी समितियों की दक्षता बढ़ेगी और उत्तर-पूर्व में ऐसी सहकारी समितियों के उत्पादों को अब इस पोर्टल के माध्यम से बेचा जा सकता है।
बीएल वर्मा ने आगे कहा कि सरकार अमूल के माध्यम से एक एक्सपोर्ट हाउस बना रही है जिसके माध्यम से जैविक उत्पादों को प्रमाणित किया जा सकता है और उनके माध्यम से किसानों की उपज को उचित मूल्य मिलेगा और उनकी उपज का निर्यात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों में युवाओं को शामिल करने की बहुत जरूरत है और उन्हें इन समितियों का नेतृत्व करने का मौका भी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि न केवल चयनित कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए बल्कि निचले स्तर के कर्मियों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार जल्द ही एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना कर रही है.
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के उपाध्यक्ष शिवदासन नैय्यर ने इस मौके पर अपने स्वागत भाषण में कहा कि सहकारिता आंदोलन की गति तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारी समितियों का पूरा ख्याल रख रही है और सहकारी समितियों के लिए एक साथ खुद को मजबूत करने का यह एक सुनहरा अवसर है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की महत्वपूर्ण भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सहकारी आंदोलन को केवल भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ही मजबूत कर सकता है।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के मुख्य कार्यकारी डॉ. सुधीर महाज ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने "समृद्धि से सहयोग" लक्ष्य के मुताबिक हाल ही में नए जरूरी कदम उठाए हैं। एनसीयूआई हाट की स्थापना भी की गई है जो स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद खरीदने के लिए एक अच्छा मंच देता है।