केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश में सहकारी शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) मिलकर जल्द ही एक सहकारी विश्वविद्यालय का गठन किया जाएगा। सोमवार को सौवें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। कार्यक्रम का आयोजन सहकारिता मंत्रालय और एनसीयूआई द्वारा किया गया था। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर इस वर्ष का थीम था "सहकारिता से आत्मानिर्भर भारत और एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना”।
अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को उनकी जैविक उपज पर 30 फीसदी से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए सरकार अमूल को नोडल एजेंसी बनाया जाएगा। अमूल एक आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित कर जैविक उत्पादों के लिए प्रमाण पत्र प्रदान करेगी । साथ ही सहकारी समितियों के जैविक उत्पादों के साथ अपने जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के साथ साथ अपनी सहकारी समितियों के उत्पादों की ब्रांडिंग भी करेगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी सुधार के लिए इफको और कृभको के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी कि अगले पांच साल में फसलों की उत्पादकता में कम से कम 25-30 फीसदी की वृद्धि हो।
सहकारिता मंत्री ने घोषणा की कि सहकारी समितियां के लिए एक निर्यात एजेंसी को स्थापित किया जायेगा, ताकि उनके उत्पाद को दुनिया भर में निर्यात किया जा सके और सहकारी समितियों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। सहकारी संगठन के लोग इस एजेंसी के सदस्य होंगे, जो सहकारी समितियों के उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करेगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार सहकारी समितियों पर एक डेटाबेस तैयार कर रही है जिसके माध्यम से उन क्षेत्रों के बारे में पता लगाया जा सके जहां सहकारी समितियों की जरूरत है। इसके लिए सरकार एनसीयूआई, राज्य सहकारी बैंकों और नाबार्ड के सहयोग से विस्तार कार्यक्रम शुरू करेंगीं।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सहकारी समितियों को बचत करने की अपनी प्रवृत्ति को विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा अगर सभी सहकारी समितियां बचत की आदत विकसित कर लें, तो उन्हें कभी भी फंड पैदा करने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा ।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने भाषण में कहा कि 2030 के मिशन के साथ-साथ सहकारी समितियों को जलवायु परिवर्तन, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और कृषि जैव-विविधता पर ध्यान देना चाहिए, जिसके लिए सरकार को नीतिगत समर्थन देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि राज्य के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों के अर्थव्यवस्था की सीमाओं के अनुसार सरकार को एक बाजार संचालित विकास आर्थिक मॉडल तैयार करना चाहिए जो समाज का विकास कर सके, और इसके लिए सहकारी समितियां,सामाजिक-आर्थिक विकास में बेहतर कार्य कर सकती है।
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल. के वर्मा ने मंत्रालय द्वारा की नई पहल के बारे में बताते हुए कहा कि हाल ही में 63,000 पैक्स का डिजिटलीकरण करने का निर्णय लिया गया है। यह कदम सहकारी समितियों को और मजबूत करेगा और उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार लाएगा ।
एनसीयूआईके अध्यक्ष दिलीप संघानी ने हाल ही में एनसीयूआई की गई पहल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एनसीयूआई हाट सहकारी समितियों और एसएचजी के उत्पादों के लिए एक बिक्री मंच प्रदान कर रहा है।
इस अवसर पर कृभको के चेयरमैन और इंटरनेशनल कोआपरेटिल अलायंस (आईसीए) , एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष डॉ.चंद्रपाल सिंह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय सहकारिता आंदोलन इस तरह से विकसित होना चाहिए कि हम सहकारिता आंदोलन का वैश्विक स्तर पर नेतृत्व कर सकें।