मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े कानून में संशोधन से जुड़ा एक विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया है। विपक्षी दलों को डर है कि इस विधेयक के प्रावधान राज्य सरकारों के अधिकारों का हनन करते हैं। इस जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे।
गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह जानकारी दी। यह समिति बजट सत्र के दूसरे हिस्से में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। बजट सत्र का दूसरा हिस्सा आम तौर पर मार्च में शुरू होता है।
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी (संशोधन) विधेयक 2022 का घोषित उद्देश्य इस सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इसमें गवर्नेंस मजबूत करने, चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने, मॉनिटरिंग की व्यवस्था सुधारने और मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस सुनिश्चित करने की भी बात है।
यह विधेयक 7 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। तब विपक्षी सदस्यों ने स्क्रूटनी के लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी। उनका कहना था कि इसके प्रावधानों से राज्य सरकारों के अधिकारों का हनन होगा।
जेपीसी में लोकसभा के 21 सदस्यों में कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), कल्याण बनर्जी (टीएमसी), चंद्र प्रकाश जोशी (भाजपा) और मनीष तिवारी (कांग्रेस) शामिल हैं।