केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने आज प्रसंस्कृत उर्वरक के क्षेत्र में दुनिया की नंबर 1 सहकारी संस्था इफको के दो अतिरिक्त नैनो यूरिया संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किए। बरेली में इफको आंवला इकाई और इफको फूलपुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में दो विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की गयी है।
इफको द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन दो नये नैनो यूरिया संयंत्रों की उत्पादन क्षमता प्रति दिन दो लाख बोतल होगी। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारतीय उर्वरक क्षेत्र के इतिहास में देश के किसानों के हित में यह एक और बड़ी उपलब्धि है, जो भारत को आत्म-निर्भर बनाएगा । यह उर्वरक क्षेत्र को और मजबूत करेगा और आयात निर्भरता वाले पारंपरिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करने में मददगार साबित होगा। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "आत्मनिर्भर भारत" और "आत्मनिर्भर कृषि" के ध्येय से प्रेरित है।
इफको नैनो यूरिया सदी का नवाचार है। उर्वरक के विकास के लिए नए मानदंड स्थापित करते हुए यह पोषक तत्व प्रबंधन में आमूलचूल बदलाव लेकर आएगा। नैनोटेक्नोलॉजी में इफको के अनुसंधान एवं विकास वैश्विक स्तर पर वांछित रासायनिक संरचना के साथ उर्वरक उत्पादन को बेहतर बनाने की क्षमता प्रदान करता है, पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार करता है जो पर्यावरणीय दुष्प्रभाव को कम करता है और पौधों की उत्पादकता को बढ़ाता है।
इफको किसानों के हित में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है। इफको द्वारा विकसित दुनिया का पहला नैनो उर्वरक, नैनो यूरिया निश्चित रूप से फसल उत्पादकता को बढ़ाते हुए पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा। यह सतत कृषि की दिशा में एक बड़ा कदम है। किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करने की दिशा में इफको काम कर रही है। इफको कृषि नवाचार के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है और जल्द ही देश के किसानों के लाभ और बेहतरी के लिए इफको नैनो डीएपी पेश करेगा जिसे हाल ही में व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि यहां केवल नैनो यूरिया का उत्पादन ही नहीं होता है। लेकिन जब नैनो यूरिया बनता है तब देश को सच्चा और तरल उर्वरक मिलता है जो प्रदूषण को कम करता है, मिट्टी को बचाता है और किसानों का खर्च कम करते हुए उत्पादन बढ़ाता है।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया (तरल) फसल की पोषण गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी पाया गया है और इसका भूमिगत जल और पर्यावरण की गुणवत्ता पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण कमी आई है।
इफको अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और सहकार से समृद्धि के ध्येय के अनुरूप नैनो यूरिया (तरल) विकसिता किया गया है। इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) बीते वर्ष दुनिया का पहला इफको नैनो यूरिया (तरल) लेकर आया जो उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) में शामिल है। इफको नैनो यूरिया (तरल) को कलोल, गुजरात में इफको के नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में प्रोप्रइटरी टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था। इफको का नैनो यूरिया (तरल) एक क्रांतिकारी उत्पाद है और सतत कृषि की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।