सहकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक और विपपण करने वाली संस्था इफको को वित्त वर्ष 2021-22 में 2598 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड कर पूर्व मुनाफा हुआ है। नई दिल्ली में एक जून को आयोजित इफको की 51वीं सालाना आमसभा (एजीएम) में चेयरमैन दिलीप संघाणी ने यह जानकारी दी। उन्होंने पिछले वित्त वर्ष के लिए 20 फ़ीसदी लाभांश की भी घोषणा की। एजीएम में उपस्थित लोगों को नई किसान और सहकार नीतियों के साथ इफको के नए नैनो यूरिया और इसकी अन्य सेवाओं के बारे में बताया गया। नैनो यूरिया 31 मई 2021 को लांच किया गया था। लिक्विड नैनो यूरिया की आधे लीटर की बोतल में बिक्री होती है।
इस मौके पर इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. यू एस अवस्थी ने बताया कि इस वर्ष नैनो उर्वरकों की आठ करोड़ बोतल बनाने का लक्ष्य है। इससे 24000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। अगले साल 25 करोड़ बोतल बनाने का लक्ष्य है जिससे देश की 75000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बचेगी। उन्होंने बताया कि 2025 तक इफको के 10 नैनो प्लांट होंगे जहां नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, जिंक, सल्फर, कॉपर आदि बनाए जाएंगे।
डॉ. अवस्थी ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए केमिकल पर निर्भरता खत्म करना जरूरी है। इफको के वैज्ञानिक इसी दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादा हीटवेव, बेमौसम बारिश, ज्यादा ठंड, फसलों में कीड़े लगना इन सब का कारण वातावरण का प्रदूषण है जो जीवाश्म ईंधन से होता है। उर्वरक, कीटनाशक, प्लास्टिक यह सब जीवाश्म ईंधन से ही बनते हैं। हम इस ईंधन का आयात करते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी से हम इन पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं।
डॉ. अवस्थी ने कहा कि अभी हम किसानों को 50 फ़ीसदी यूरिया और 50 फ़ीसदी नैनो उर्वरक का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। धीरे-धीरे हम यह प्रयास कर रहे हैं कि यूरिया, डीएपी या अन्य रसायनों की जरूरत ही ना पड़े। इफको के डिविडेंड की चर्चा करते हुए डॉ. अवस्थी ने कहा कि हमने अगले 25 वर्षों के लिए 20 फ़ीसदी डिविडेंड के लायक पैसा जमा कर लिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार नियमों में ढील दे तो डिविडेंड बढ़ाया भी जा सकता है।