केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के गांधीधाम में इफको नैनो डीएपी (तरल) संयंत्र का भूमिपूजन एवं शिलान्यास किया। 70 एकड़ में बनने वाले इस संयंत्र पर करीब 350 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस मौके पर इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी, मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर अवस्थी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि गांधीधाम में बनने वाला यह संयंत्र इफको के मौजूदा 30 लाख टन डीएपी उत्पादन करने वाले संयंत्र से भी अधिक उत्पादन करेगा। इस संयंत्र से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की दो लाख नैनो बोतल देश और दुनिया में भेजी जाएंगी जिससे यूरिया की 6 करोड़ बोरियों का आयात कम होगा और भारत फर्टिलाइजर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने कहा कि इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की खाद सब्सिडी और करीब 3,500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा भी बचेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि एक साल के अंदर ही इस संयंत्र में नैनो (तरल) डीएपी का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह प्लांट जीरो लिक्विड डिसचार्ज के आधार पर बनाया गया है जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी और फर्टिलाइजर के दाम में भी कमी आएगी।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि तरल उर्वरक देश के अर्थतंत्र और कृषि क्षेत्र को मल्टी डाइमेनशनल फ़ायदा देने वाला है। नैनो डीएपी (तरल) के छिड़काव से भूमि प्रदूषित नहीं होगी जिससे प्राकृतिक खेती की राह आसान होगी। इससे मिट्टी की उर्वरकता के साथ-साथ कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा और भूमि संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए इफको को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इफको ने न केवल दुनियाभर में सबसे पहले नैनो फर्टिलाइजर की शुरुआत की है बल्कि इससे फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
अमित शाह ने कहा कि देश को एक बार फिर हरित क्रांति की जरूरत है, लेकिन यह हरित क्रांति एक अलग प्रकार की होगी और इसका लक्ष्य सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं होगा। नई हरित क्रांति में भारत को दुनिया को प्राकृतिक खेती का रास्ता बताना होगा और इसके लिए प्राकृतिक खेती की हरित क्रांति लानी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की हरित क्रांति लानी होगी जिससे किसानों को उनकी उपज का ज्यादा मूल्य मिले और वे प्रति एकड़ में अधिक से अधिक उपज हासिल कर सकें। साथ ही भारत के किसानों के ऑर्गेनिक उत्पादों को दुनियाभर में बेच कर भारत में संपत्ति लाने का काम इस हरित क्रांति से करना होगा।
उन्होंने कहा कि नई हरित क्रांति के तीन लक्ष्य हैं। पहला, उत्पादन के साथ-साथ गेहूं, चावल, दलहन और तिलहन सहित सभी खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनना। दूसरा, किसान की प्रति एकड़ उपज को बढ़ाना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर भूमि का संरक्षण करना। तीसरा, प्राकृतिक कृषि उत्पादों को विश्व भर के बाज़ारों में निर्यात कर किसान के घर तक समृद्धि पहुंचाना। भारत सरकार इन तीनों लक्ष्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित है।