देश की प्रमुख सहकारी संस्था इफको और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी) ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादकता तथा नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आपस में तालमेल बिठाने के लिए एक एमओयू किया गया है। एनपीसी मुख्यालय में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।
इस अवसर पर इफको के चेयरमैन दिलीप भाई संघानी ने कहा कि देश में एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र में निर्णायक सुधार लाने के लिए एनपीसी को अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां एमएसएमई के भीतर बड़ा समूह बनाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पांच ट्रिलियन डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था को साकार करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए इफको और एनपीसी के बीच साझेदारी एक सही कदम है।
एनपीसी के महानिदेशक संदीप नायक ने कहा, एनपीसी के आत्मनिर्भर भारत की ओर नारे का मतलब उत्पादकता आंदोलन को फिर से जीवंत करना है। देश भर में प्राथमिक स्तर पर सहकारी समितियों की सहायता करने के लिए 12 क्षेत्रीय कार्यालयों और 27 स्थानीय उत्पादकता परिषदों का नेटवर्क तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एनपीसी में नवाचार के लिए डीपीआईआईटी द्वारा वित्त पोषित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारत इंडस्ट्री 4.0 सहित कई पहल शुरू की गई हैं। इसका मुख्य फोकस गांव की महिलाओं, युवाओं और सहकारी समितियों को डिजिटलाइजेशन करना है।
इफको और एनपीसी पूरे भारत में उत्पादकता में सुधार हो, इसको बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार हो , इस पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इससे भारत और विदेशों में एनपीसी और इफको के तत्वाधान में किसानों के लिए टैलेंट पूल सिस्टम तैयार किए जाने की उम्मीद है। साल 2016 से भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है, जिसका कुल विनिर्माण मूल्य 420 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पिछले दशकों में भारत का विनिर्माण क्षेत्र औसतन सात फीसदी सालना की दर से बढ़ा है।
अब बागवानी और पशुधन/डेयरी क्षेत्रों सहित कृषि उत्पादकता में सुधार और नई प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देने की जरूरत है। सहकारी समितियों में कुशल युवाओं और व्यवसायिक प्रबंधन से बड़े बदलाव की उम्मीद है। क्योकि भारत में लगभग 94 फीसदी किसान किसी ने किसी एक सहकारी समिति के सदस्य हैं।
भारत सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत करने और प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक पैक्स स्थापित करने के लिए एक सुनियोजित कार्यक्रम तैयार किया गयै है। इफको और एनपीसी की संयुक्त गतिविधि इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
1950 के दशक में शुरू किए गए राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के नेतृत्व में उत्पादकता आंदोलन ने भारत के सामाजिक आर्थिक विकास में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। अगले चरण और उत्पादकता आंदोलन में तेजी की अब पहले से कहीं अधिक जरूरत है, विशेष रूप से आत्मानिर्भर भारत के संदर्भ में। इस अवसर पर इफको एमडी डॉ यूएस अवस्थी और इसके निदेशक योगेंद्र कुमार ने भी संबोधित किया।