केंद्र सरकार ने बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2023 की अधिसूचना जारी कर दी है। नए कानून में सहकारी समितियों के कामकाज को और अधिक पारदर्शी बनाने, नियमित चुनाव कराने और समिति के सदस्यों के पारिवारिक सदस्य और रिश्तेदारों की नियुक्ति पर रोक लगाकर कोऑपरेटिव को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
25 जुलाई को लोकसभा ने और 1 अगस्त को राज्यसभा ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी (संशोधन) बिल, 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया था। इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह संशोधन विधेयक कानून बन गया और 3 अगस्त को इसकी अधिसूचना जारी की गई। नए कानून से भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद मिलने की उम्मीद है, जो सहकारी क्षेत्र की प्रगतिशील भूमिका के बिना संभव नहीं है।
इस कानून में सहकारी समितियों में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए कड़े मानदंड का प्रावधान किया गया है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भाई-भतीजावाद न हो। सहकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं। जब रोजगार सृजन की बात आती है तो निजी क्षेत्र की एक सीमा होती है। सहकारी क्षेत्र नौकरियां बढ़ा सकता है क्योंकि सरकार एलपीजी और पेट्रोल पंप डीलरशिप जैसे क्षेत्रों में कार्य क्षेत्र का विस्तार करके सहकारी समितियों को मजबूत कर रही है।
नए कानून में सहकारी क्षेत्र में चुनाव सुधार करने के उद्देश्य से एक 'सहकारी चुनाव प्राधिकरण' स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन से अधिक सदस्य नहीं होंगे जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। एनसीयूआई (नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में लगभग 8.6 लाख सहकारी समितियां हैं। इनमें से लगभग 63,000 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) सक्रिय हैं।
जैविक उत्पादों, बीजों और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इसी साल जनवरी में तीन नई बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का निर्णय लिया था। बीमार बहु-राज्य सहकारी समितियों के पुनरुद्धार के लिए सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास निधि स्थापित करने के लिए इस कानून में एक नया खंड जोड़ा गया है। इस कानून में सहकारी समितियों के लिए ऑडिट, शिकायतों के निवारण के लिए तंत्र, एक या अधिक सहकारी लोकपाल और सहकारी सूचना अधिकारी की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा इसमें आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है जो सहकारी समितियों द्वारा नियमों के उल्लंघन करने पर लगाया जाएगा।
इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक रूप में आवेदन, दस्तावेज, रिटर्न, विवरण, खातों का विवरण दाखिल करने का प्रावधान इसमें किया गया है।