सहकारिता क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में कई अहम घोषणाएं की गई हैं। सबसे महत्वपूर्ण घोषणा सहकारी समितियों पर लगने वाले न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में कटौती का है। इसे 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया है। सालाना एक से दस करोड़ रुपए तक आय वाली सहकारी समितियों के लिए सरचार्ज में भी 5 फीसदी की कटौती की गई है। इसे 12 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी किया गया है। नवगठित सहकारिता मंत्रालय के लिए बजट में 900 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह 2021-22 के संशोधित अनुमान 403 करोड़ रुपए के दोगुने से भी ज्यादा है।
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटाइजेशन के लिए 350 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस स्कीम के तहत करीब 63000 पैक्स को कंप्यूटराइज किया जाएगा ताकि उनकी क्षमता, लाभप्रदता और पारदर्शिता बढ़ने के साथ जवाबदेही भी बढ़े। 'सहकारिता से संपन्नता' स्कीम के लिए 274 करोड रुपए रखे गए हैं। इस स्कीम के तहत कई छोटी-छोटी स्कीमें होंगी।
एनसीयूआई के प्रेसिडेंट दिलीप संघाणी ने सहकारी समितियों पर मैट घटाने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे ये समितियां कंपनियों के समकक्ष हो गई हैं, जिससे उन्हें बराबर का मौका मिलेगा। संघाणी ने एक करोड़ से दस करोड़ रुपए तक आय वाली समितियों पर सरचार्ज घटाने का भी स्वागत किया। एनसीयूआई के चीफ एग्जीक्यूटिव डॉ. सुधीर महाजन ने कहा कि सहकारी समितियों के भले के लिए किसी भी नीतिगत बदलाव का स्वागत है। कोऑपरेटिव को हर स्तर पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए। एनसीयूआई के पूर्व प्रेसिडेंट और कॉपरेटिव बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन जी एच अमीन ने कहा कि इस साल के बजट से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव को उनकी उचित जगह है मिल गई है। मैट घटाने से उन्हें कॉरपोरेट के बराबर अवसर मिलेंगे।
नैफकब प्रेसिडेंट ज्योतिंद्र मेहता के अनुसार इस साल का बजट 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी को हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने बजट में पूंजीगत व्यय, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, स्टार्टअप और डिजिटाइजेशन पर फोकस किए जाने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मैट और सरचार्ज घटाने से कोऑपरेटिव के पास ज्यादा रिजर्व होगा।
नैफकब के एमडी और इंटरनेशनल कोऑपरेटिव बैंकिंग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी सुब्रमण्यम ने मैट में कटौती का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव के लिए इनकम टैक्स में छूट काफी देर से दी गई है। सुब्रमण्यम के अनुसार इस वर्ष के बजट में कृषि, कृषि कर्ज, ग्रामीण सहकारिता क्रेडिट बैंकिंग सिस्टम को उचित स्थान नहीं दिया गया है। यही नहीं, सहकारिता मंत्रालय के एक भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया है।