केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को झारखंड के देवघर में इफको (IFFCO) के पांचवें नैनो यूरिया प्लांट का भूमि पूजन और शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भूमि संरक्षण के लिए तरल यूरिया बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि संरक्षण को प्रमुख मुद्दा बना इससे जुड़े सभी कार्यों को प्राथमिकता दी है, चाहे वह प्राकृतिक खेती हो, ऑर्गेनिक खेती हो या नैनो यूरिया के अनुसंधान से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया को गति देने की बात हो। इस प्लांट में सालाना लगभग 6 करोड़ तरल यूरिया की बोतलों का निर्माण किया जाएगा, जिससे यूरिया के आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। शिलान्यास के मौके पर इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 500 ग्राम की छोटी बोतल यूरिया के एक पूरे बैग का विकल्प है। किसान यूरिया के साथ-साथ तरल यूरिया का छिड़काव भी करते हैं जिससे न केवल फसल को बल्कि भूमि को भी नुकसान होता है। भूमि के सरंक्षण के लिए ही नैनो तरल यूरिया का अनुसंधान किया गया है। केमिकल फर्टिलाइजर जमीन में मौजूद कुदरती खाद बनाने वाले केंचुओं को मार देता है, जबकि तरल यूरिया का छिड़काव करने पर जमीन किसी भी प्रकार से दूषित नहीं होगी। केमिकल फर्टिलाइजर के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए अमित शाह ने कहा कि यदि जल्द ही कृषि से रसायन और यूरिया के उपयोग को समाप्त नहीं किया गया तो दुनिया के कई देशों की तरह यहां भी जमीन की उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि किसानों की सहकारिता से बने इफको ने विश्व में पहली बार तरल नैनो यूरिया बनाया और अब डीएपी (डी-अमोनियम फॉस्फेट) की ओर आगे बढ़ रहा है। यह भारत और पूरे सहकारिता क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए बजट में कई योजनाओं की घोषणा की गई है। इसके तहत उत्पादन के क्षेत्र में नई सहकारिता इकाईयों के लिए इनकम टैक्स की दर 26 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज पांच देशों को तरल यूरिया का निर्यात किया जा रहा है। इफको द्वारा बनाया गया यह तरल यूरिया न केवल भारत बल्कि विश्व के किसानों की भी मदद करेगा। भारत कभी यूरिया का आयात करता था लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा यूरिया के कई कारखाने पुनर्जीवित किए गए। देवघर में 30 एकड़ में बन रहा तरल यूरिया का यह कारखाना आयातित 6 करोड़ यूरिया खाद के बैग का विकल्प बनेगा। इससे किसान की भूमि भी संरक्षित रहेगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी। यह कारखाना न केवल झारखंड बल्कि बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसानों के खेतों में भी उत्पादन बढ़ाने में उपयोगी साबित होगा।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद पूरे भारत के सहकारिता के डेटा बैंक को बनाने का काम किया गया है। अगले 5 वर्षों में सरकार हर पंचायत में नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि देश में सालों से ऐसी भंडारण प्रक्रिया चल रही है जो हमारे देश के अनुकूल नहीं हैं। किसान की उपज को पहले गोदामों में लाया जाता है और फिर उसे वापस वितरण के लिए गांव ले जाया जाता है। इससे सरकार गरीब को जितना फायदा देना चाहती है उसका 50 फीसदी आवागमन में खर्च हो जाता है। मगर अब हर तहसील में दो से पांच हजार टन भंडारण क्षमता वाले आधुनिक गोदाम बनाए जाएंगे जिससे किसान का उत्पाद तहसील सेंटर पर ही स्टोर होगा और वहीं से मध्याह्न भोजन और गरीबों को मुफ्त अनाज के रूप में उस तहसील में वितरित किया जाएगा। इससे अनाज के परिवहन खर्च में लगभग 80 फीसदी की कमी आएगी। इसके लिए इस बार बजट में विश्व की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव अन्न भंडारण योजना की घोषणा की गई है। इससे पैक्स बहुआयामी बनेंगे और उनकी इनकम बढ़ेगी।