कोऑपरेटिव को जो भी प्रॉफिट होता है, वह उसके सदस्यों में बंटता है। जो सदस्य इनकम टैक्स के दायरे में आता है, वह टैक्स देता ही है, इसलिए कोऑपरेटिव को इनकम टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। यह कहना है सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. डी.एन. ठाकुर का। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कोऑपरेटिव को टैक्स से छूट का प्रावधान किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि हाल ही सरकार ने राष्ट्रीय स्तर के तीन कोऑपरेटिव बनाने की घोषणा की है।
रूरल वॉयस से बातचीत में ठाकुर ने कहा कि बिजनेस के तीन रूप हैं सरकार, कॉरपोरेट और कोऑपरेटिव। कोऑपरेटिव की प्रासंगिकता आज ज्यादा हो गई है। यहां फोकस लोगों पर होता है, पूंजी पर नहीं। इसलिए सरकार को इनके क्षमता निर्माण, एफिशिएंसी और मैनेजमेंट क्षमता बेहतर करने पर फोकस करना चाहिए। सरकार को इसमें इक्विटी लेने के बजाय इसके कामकाज का जिम्मा पूरी तरह प्रोफेशनल लोगों के हाथ में दे दना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत में कोऑपरेटिव की जड़ें काफी मजबूत हैं। ये खाद्य सुरक्षा और रोजगार के लिए सबसे योग्य संस्थान हैं। सरकार को उचित नीतियों और इन्सेंटिव के माध्यम से किसानों को कोऑपरेटिव के तौर पर संगठित करने में मदद करनी चाहिए। किसानों को प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों की पूलिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि उन संसाधनों का प्रभावी और सस्टेनेबल इस्तेमाल हो सके, उन्हें संरक्षित रखा जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार को बजट में कोऑपरेटिव के माध्यम से फूड मैनेजमेंट पर फोकस करना चाहिए। इससे सरकार का पैसा बचेगा और लोग भी जुड़ेंगे। गांव में ही भंडारण सुविधा विकसित कर उसे नेशनल ग्रिड से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि कोऑपरेटिव को सस्ता कर्ज मिले।