अभी देश के लोग इस बात को लेकर काफी उत्सुक हैं कि हाल ही में गठित सहकारिता मंत्रालय देश में क्या कर रहा है। जिसके मंत्री अमित शाह हैं और इस नये मंत्रालय के सचिव देवेंद्र कुमार सिंह हैं। 1989 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी सिंह ने 23 दिसंबर को नई दिल्ली में रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और नेडेक अवार्ड्स 2021 के एक सत्र में सहकारिता के माध्यम से किसानों, कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर बात की।
केंद्रीय सहकारिता सचिव ने कहा कि सहकारिता के इस नए मंत्रालय से देश की जनता को काफी उम्मीदें हैं। सरकार ने अपने नए सफर की चीजों को समझने की कोशिश करते हुए अपना नया काम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारिता के माध्यम से समृद्धि का विजन लेकर आई है और मंत्रालय ने लोगों के विकास के लिए समृद्धि की दिशा में सहकारिता का मंत्र दिया है। इसके लिए नई नीति पेश की जाएगी और मंत्रालय ने इस नीति को लाने के लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों को व्यावसायिक संस्थाओं के रूप में देखा जाना चाहिए। इसका लक्ष्य लोगों का आर्थिक सुधार है और हम इस नए दृष्टिकोण पर आगे की कार्ययोजना बना रहे हैं। इसके लिए हम सभी को बिजनेस आधारित सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमने सहकारी समितियों और समूहों के व्यवसाय विकास के लिए आईआईएम से सुझाव मांगे हैं। इसी तरह आईआईटी से तकनीकी सुझाव मांगे गए हैं। इसके लिए मंत्रालय ने आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी को सहकारी क्षेत्र में व्यापक तकनीकी कमियों को दूर करने के लिए पत्र लिखा है। उनमें से एक आईआईएम जम्मू ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
सहकारिता सचिव ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मैने पहले अतिरिक्त सचिव और विकास आयुक्त के रूप में कार्य किया है। सहकारिता एक उद्यम है, जिसके लिए उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) में अपने कार्य के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसएमई मंत्रालय में उद्यमों का पंजीकरण शुरू किया। सहकारिता मंत्रालय में हमने उद्यम डेटा मंगाया तो यह दिलचस्प बात सामने आई कि उद्यम प्लेटफार्म पर पंजीकृत 60 लाख उद्यमियों में से 6000 सहकारी समितियों ने उस पर पंजीकरण कराया है और वह भी 86 श्रेणियों में है। इस प्रकार से सरकारी समितियां खुद को एक उद्यमी मानती हैं।
देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मंत्रालय ने शुरूआत में त्रि-आयामी फोकस रखा है। पैक्स का कम्प्यूटरीकरण, सहकारिता पर एक समग्र राष्ट्रीय नीति और सहकारिताओं को मुख्य धारा में लाना। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं में सहकारी समितियों को शामिल किया जाए। अगर सहकारी समितियां किसी विशेष योजना के लिए पात्र नहीं हैं, तो इस पर सोच समझकर फैसला होना चाहिए और इसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
केंद्रीय सहकारिता सचिव कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में सहकारिता क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है रहेगी और हम इसी दृष्टि के साथ काम करने की कोशिश कर रहे हैं।