सहकारिता से वैश्विक सहयोग को मिल सकती है नई ऊर्जा: प्रधानमंत्री मोदी

आईसीए के 130 साल के इतिहास में वैश्विक सहकारी सम्मेलन और आईसीए महासभा का आयोजन पहली बार भारत में हो रहा है। इफको द्वारा भारत सरकार तथा सहकारी संस्थाओं अमूल व कृभको के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन 25 से 30 नवंबर तक चलेगा। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीए) के वैश्विक सहकारी सम्मेलन-2024 का उद्घाटन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष- 2025 का आधिकारिक शुभारंभ किया। आईसीए के 130 साल के इतिहास में वैश्विक सहकारी सम्मेलन और आईसीए महासभा का आयोजन पहली बार भारत में हो रहा है। 

वैश्विक सहकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सहकारिता आंदोलन मुनाफा नहीं मानवता को आगे लेकर बढ़ता है। दुनिया के लिए यह जरूरी है कि वह विकास को मानव-केंद्रित नजरिए से देखे। उन्होंने कहा कि सहकारिता से वैश्विक सहयोग को नई ऊर्जा मिल सकती है। खासतौर पर ग्लोबल साउथ के देशों को जिस प्रकार की ग्रोथ की जरूरत है उसमें कोऑपरेटिव्स मदद कर सकती हैं। सहकारिता को दुनिया में अखंडता और आपसी सम्मान का ध्वजवाहक बनाने की जरूरत है।

देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सहकारिता की भूमिका को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया के लिए सहकारिता एक मॉडल है लेकिन भारत के लिए सहकारिता संस्कृति का आधार और जीवन शैली है। हम सहकार से समृद्धि के मंत्र पर चल रहे हैं और भारत अपने भविष्य के विकास में सहकारी संस्थाओं की बड़ी भूमिका देखता है। इसी लक्ष्य के साथ भारत सरकार ने अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया। पिछले 10 वर्षों में सहकारी समितियों से जुड़े पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने का काम किया गया है। हमारा प्रयास सहकारी समितियों को बहुउद्देशीय बनाना है। सहकारी क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने पर भी विचार करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि सहकारी बैंकों में करीब 12 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। देश में करीब 2 लाख आवास सहकारी समितियां हैं। सरकार ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत किया है और इसमें सुधार किया है। सरकार सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। गांवों में करीब 2 लाख अतिरिक्त बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां स्थापित की जा रही हैं।

पीएम मोदी ने सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका की भी सराहना की और कहा कि करीब 60 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री कहा कि सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण का लक्ष्य सहकारी संस्थाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना है। प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों से सहकारी क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है।

प्रधानमंत्री इस अवसर पर सहकारी आंदोलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। इसके डिजाइन में कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, उपभोक्ता सहकारी समितियां और आवास जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, साथ ही इसमें ड्रोन दिखाया गया है जो कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका को दर्शाता है।

इफको द्वारा भारत सरकार तथा सहकारी संस्थाओं अमूल व कृभको के सहयोग से आयोजित वैश्विक सहकारी सम्मेलन 25 से 30 नवंबर तक चलेगा। सम्मेलन में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे, फिजी के उप-प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका और 100 से अधिक देशों के लगभग 3,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से भारत को अपनी सहकारी ताकत और सफलता को विश्व मंच पर प्रस्तुत कर रहा है। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री अमित शाह, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर अवस्थी, कृभको के चेयरमैन डॉ. चंद्रपाल सिंह, अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता, एनएफसीएसएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नायकनवरे समेत विभिन्न सहकारी संस्थानों के पदाधिकारी और राज्यों के सहकारिता मंत्री भी मौजूद थे।