भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा है सरकारी योजनाओं का लाभ महिलाओं तक पहुंचना चाहिए जिसके लिए महिला सहकारी समितियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। सेवा सहकारी संघ, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई), अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन-एशिया और प्रशांत (आईसीए-एपी), और सेवा भारत द्वारा “एकजुटता को मजबूत करनाः महिलाओं की सहकारी समितियों और सामूहिक उद्यमों को पनपने में सक्षम बनाना” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं। संघाणी ने भारत में महिला सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए एनसीयूआई द्वारा हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। उन्होंने महिला सहकारी उत्पादों के मजबूत विपणन की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यशाला में 20 राज्यों की 100 से अधिक महिला सहकारी समितियों ने भाग लिया।
संघाणी ने आगे कहा कि ’सहकार से समृद्धि’ के उद्देश्य को साकार करने के लिए सभी को रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए और इसके लिए महत्वपूर्ण रूप से महिला सहकारी समितियों के नेटवर्क का विस्तार किया जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि भाग्यलक्ष्मी महिला सहकारी बैंक, महाराष्ट्र में अच्छे कार्य से किसानों को काफी लाभ हुआ है।
इस अवसर पर आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा कि सेवा जैसी महिला सहकारी समितियों और अन्य सहकारी समितियों के अच्छे काम के आधार पर पूरे देश में महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए ताकि महिलाओं को सहकारी समितियों के गठन के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पूरे देश में एनसीयूआई सहकारी शिक्षा परियोजना के कर्मचारियों को महिला सहकारी समितियों के पंजीकरण में मदद करनी चाहिए और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों के समान नेतृत्व के अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय नीति में सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
इस अवसर पर बोलते हुए, सेवा सहकारी संघ के अध्यक्ष मिराई चटर्जी ने कहा कि इस कार्यशाला की सिफारिशें राष्ट्रीय सहकारी नीति को अंतिम रूप देने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति के विभिन्न उपसमितियों को प्रस्तुत किया जायेगा। गीता बेन, बोर्ड सदस्य, दिल्ली क्रेडिट कोऑपरेटिव ने उल्लेख किया कि कैसे उनके सहकारी सदस्यों को जंतर-मंतर पर 2007 में अपने सहकारी समिति को पंजीकृत करने के लिए विरोध के साथ लगभग 3 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा, बेहतर ऋण प्रावधान सुनिश्चित करने और पंजीकरण के सरलीकरण पर उन्होंने बल दिया। सेवा भारत की अध्यक्ष रेनाना झाबवाला ने नई सहकारी समितियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने उभरती महिला सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों के लिए लचीला और आसान ऋण प्रावधान सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई और एनसीडीसी से इस तरह की पहल का समर्थन करने का आग्रह किया।
कार्यशाला के पूर्ण सत्र में, डॉ. सुधीर महाजन, मुख्य कार्यकारी, एनसीयूआई ने उल्लेख किया कि एनसीयूआई हाट महिला सहकारी समितियों/ स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के विक्रय मंच ने एक साल के अंदर 2 करोड रुपये की बिक्री दर्ज की है।