देश की सबसे बड़ी डेयरी बाजार हिस्सेदारी वाली सहकारी संस्था गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ), अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर. एस. सोढ़ी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जीसीएमएमएफ के बोर्ड ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। उनकी जगह अब अमूल के चीफ आपरेटिंग आफिसर (सीओओ) जयेन मेहता यह जिम्मा संभालेंगे। डॉ. सोढ़ी ने मार्च 1982 में अमूल में सीनियर सेल्स आफिसर के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत की थी और जून 2010 में वह अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर बने थे।
रूरल वॉयस के साथ बात करते हुए डॉ. आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि मैने जीसीएमएमएफ के बोर्ड को अपने इस्तीफे की पेशकश की जिसे बोर्ड ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था जिसके बाद जीसीएमएमएफ बोर्ड ने उनको एक्सटेंशन दिया था। डॉ. सोढ़ी ने बताया कि 40 साल नौ माह तक काम करने के बाद मैने जीसीएमएमएफ से अपने आप को अलग किया है। जब मैने जीसीएमएमएफ में अपने करियर की शुरुआत की थी उस समय जीसीएमएमएफ का टर्नओवर 121 करोड़ रुपये था। जबकि इस साल अमूल ब्रांड का टर्नओवर 71 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। मेरे कार्यकाल के दौरान अमूल का जो विस्तार हुआ वह मेरे लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
जीसीएमएमएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर का पद संभालने के पहले डॉ. सोढ़ी अमूल के चीफ जनरल मैनेजर थे। उनके कार्यकाल में अमूल ने जहां दूध की खरीद में भारी बढ़ोतरी की वहीं इसके टर्नओवर में भारी बढ़ोतरी हुई और इसी दौरान अमूल ने गुजरात के बाद दूध खरीदने के साथ ही अपने कारोबार का बड़ा विस्तार किया।
उन्होंने रूरल वॉयस को बताया कि जब मैने मार्च, 1982 में अमूल में अपना कार्यकाल शुरू किया तो उस समय इसका टर्नओवर 121 करोड़ रुपये था। उस समय हमारी छह जिला यूनियन खेड़ा, मेहसाणा, साबरकांठा, बड़ौदा, सूरत और बनासकांठा मिलकर 12 लाख किलो दूध प्रतिदिन की खरीद करती थी। अपने 40 साल नौ माह के कार्यकाल के दौरान मैने अमूल के कारोबार को नई ऊंचाइयों तक जाते हुए देखा। पिछले साल जीसीएमएमएफ का टर्नओवर 46,481 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और इस साल अमूल ब्रांड का टर्नओवर 71 हजार करोड़ रुये पर पहुंच जाएगा।
डॉ. सोढ़ी के मैनेजिंग डायरेक्टर बनने के पहले 2009-10 में जीसीएमएमएफ का टर्नओवर 8005 करोड़ रुपये था जो 2021-22 में बढ़कर 46,481 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान जीसीएमएमफ का दूध संग्रह 93.02 लाख किलो प्रति दिन से बढ़कर 263.66 लाख किलो प्रतिदिन पर पहुंच गया। इसके साथ ही किसानों को मिलने वाले दूध की कीमत भी 337 रुपये प्रति किलो फैट से बढ़कर 820 रुपये प्रति किलो फैट तक पहुंच गई। वहीं जीसीएमएमएफ को दूध देने वाले किसानों की सदस्य संख्या भी इस दौरान 29.10 लाख से बढ़कर 36.40 लाख पर पहुंच गई।