सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए एक साधन बन सकती हैं। सहकारिता क्षेत्र में युवाओं के लिए आर्थिक अवसर उपलब्ध हैं लेकिन इसके लिए हमें उनको सहकारिता में आकर्षित करना होगा। युवाओं को सहकारिता के आर्थिक मॉडल और उसमें उपलब्ध मौकों के प्रति जागरूक करना होगा। लेकिन युवा प्रत्यक्ष रूप सहाकारिता से जुड़ने में कम रुचि दिखा रहे हैं। उनके लिए सहकारिता बुजुर्गों द्वारा संचालित कोई पुराने जमाने की अवधारणा है। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सहकारिता का एक अंग बनाएं जो देश की आर्थिक वृद्धि को अग्रसर करने में बड़ी क्षमता रखते हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने बुधवार को सहकारी क्षेत्र निर्यात संवर्धन परिषद (कॉपएक्सिल) की पहली साधारण आम बैठक (जीबीएम) को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए परिवर्तन का एक साधन बन सकती हैं।
कॉपएक्सिल की स्थापना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नेतृत्व में की गई है, जो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अंतर्गत एक सहकारिता केंद्रित वित्तीय संगठन है। मूल्यवर्धन उत्पादों के निर्यात में सहकारी समितियों का मार्गदर्शन करता है।
इस मौके पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि सहकारिता को एक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए जिससे कि स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूरा किया जा सके ।
रूपाला ने कहा कि मेरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना अनुसार,वर्ष 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहकारिताएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों ने यह बार-बार प्रमाणित किया है। विशेषकर वैश्विक महामारी के दौरान जीडीपी में उनका योगदान सबसे बेहतर रहा है। केद्रीय मंत्री ने कहा कि बेहतर तकनीक, निवेश, वित्त तथा बाजार की बेहतर पहुँच के माध्यम से छोटे तथा सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा स्थापित कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को एनसीडीसी का सहयोगी बहुत उपयोगी हो सकता है। सरकार द्वारा 10,000 एफपीओ की स्थापना की योजना के तहत सहकारिताओं के रूप में गठित एफपीओ को भी कॉपएक्सिल द्वारा सुविधा प्रदान की जाएगी ।
इस मौके पर केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि अक्टूबर 2019 में आयोजित पहले भारतीय अंतरराष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेले से हुए लाभ का सहकारिताओं के किसानों के लिए सदुपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने निर्यात में सभी प्रकार की सहकारिताओं को शामिल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का सुझाव दिया ।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 94 प्रतिशत किसान एक या उससे अधिक सहकारिताओं के सदस्य हैं । आई.आई.सी.टी.एफ. का उद्देश्य सहकारिताओं को भारत के अंतर्गत तथा विदेश में सहकारिताओं के साथ व्यापार करते हुए मुख्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना था । इस तथ्य को ध्यान मे रखते हुए कि भारतीय कृषि समाज की रीढ़ बनी हुई है, जो लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या को आजीविका प्रदान करती है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री जी ने कहा कि कृषि क्षेत्र का भारत के निर्यात में 10 प्रतिशत से अधिक योगदान है । कृषि निर्यात नीति 2018 कृषि निर्यात को दोगुना करने एवं भारतीय किसानों तथा कृषि उत्पादों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ जोड़ने पर केंद्रित है ।
रुपाला ने कहा कि "मुझे यह बताया गया कि एनसीडीसी ने दिनांक 16 मई 2019 को सभी राज्यों के हितधारकों के साथ राष्ट्रीय स्तरीय परामर्श का आयोजन किया है जिसका निष्कर्ष यह रहा कि उच्च मूल्य प्राप्त करने हेतु सहकारी समितियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपने संस्थागत नेतृत्व के अंतर्गत एनसीडीसी को सहकारी क्षेत्रक निर्यात संवर्धन निकाय का गठन करना चाहिए ।"
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेले के आयोजन के अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा 2 जुलाई, 2019 को संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान एनसीडीसी द्वारा सहकारी क्षेत्रक निर्यात संवर्धन निकाय के गठन की औपचारिक घोषणा की गई थी ।
भारतीय सहकारिताओं के लिए निर्यात संवर्धन गतिविधि के रूप में एनसीडीसी और दूसरे सहयोगियों द्वारा अक्टूबर, 2019 में पहली बार आई.आई.सी.टी.एफ.का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया । इस मेले में 35,000 से अधिक लोगों ने शिरकत की और 125 विदेशी खरीददारों ने भी हिस्सा लिया। इसमें लगभग 1.2 अरब डॉलर मूल्य के 75 व्यावसायिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गये। व्यापार मेले की सफलता ने कॉपएक्सिल के शुरुआती कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। रूपाला ने यह सुझाव दिया कि कॉपएक्सिल के सामान्य निकाय, जिसमें सभी हितधारकों एपीडा, एमपीडा, इफको, नैफेड, ट्राईफेड आदि का प्रतिनिधित्व है। इन संस्थाओं के स्वयं के महासचिव एवं सचिवालय हों। निकाय के संवर्धक के रूप में एनसीडीसी को अपने संसाधनों को कॉपएक्सिल को उपलब्ध कराना चाहिए ।
देशभर में सहकारिताओं को वित्तपोषण कर संवर्धित करने में, एनसीडीसी की भूमिका पर जोर देते हुए मंत्री जी ने कहा कि, एनसीडीसी ने अपने गठन से अब तक सहकारिताओं को 1.76 लाख करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है । एनसीडीसी ने सहकारिताओं की आवश्यकताओं के लिए हाल ही में अनेक नई पहल जैसे युवा सहकार, सहकार मित्र, आयुष्मान सहकार एवं सहकार प्रज्ञा प्रारंभ की हैं । मेरा सुझाव है कि सहकारिताओं की आवश्यकताओं को समझते हुए वित्तपोषण के लिए एनसीडीसी द्वारा निर्यात सहकार योजना तैयार की जाए ।
बैठक में एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने सभी सहभागियों के समर्थन को स्वीकार करते हुए कहा कि परिषद अपने उत्पादों के निर्यात के लिए सहकारी समितियों हेतु समन्वयक की भूमिका निभाएगी । उन्होंने आगे कहा कि एनसीडीसी का युवा-लक्षित कार्यक्रम, युवा- सहकार इसका एक मुख्य संचालक होगा ।